“ढाई आखर प्रेम” की यात्रा के अंतर्गत वायकाम सत्याग्रह पर चर्चा

इंदौर, 2 अक्टूबर 2023ः गांधी जयंती के अवसर पर इप्टा, प्रलेस और अन्य प्रगतिशील जनसंगठनों द्वारा इंदौर में रुस्तम का बागीचा स्थित संत रविदास धर्मशाला में स्थानीय रहवासियों के बीच एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम देशभर में चल रही “ढाई आखर प्रेम” की राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के अंतर्गत आयोजित किया गया था।

इस अवसर पर महात्मा गांधी के दो महत्वपूर्ण आंदोलनों नमक सत्याग्रह और वायकाम सत्याग्रह पर बनी फिल्मों के अंशों का प्रदर्शन किया गया।

नमक सत्याग्रह या दांडी सत्याग्रह पर चर्चा करते हुए डॉ. जया मेहता ने बताया कि ब्रिटिश नमक एकाधिकार कानून के खिलाफ अहिंसक विरोध करते हुए यह यात्रा गांधीजी के नेतृत्व में की गई थी जिसमें गांधीजी ने अपने 78 विश्वस्त स्वयंसेवकों के साथ इस मार्च की शुरुआत की। यह यात्रा साबरमती आश्रम से दांडी तक 387 किलोमीटर (240 मील) तक की गई थी। यात्रा के दौरान हजारों देशवासी उसमें शामिल हुए। जब गांधीजी ने 6 अप्रैल 1930 को सुबह 8.30 बजे ब्रिटिश राज के नमक कानून को तोड़ा तो इससे लाखों भारतीयों द्वारा नमक कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा की कार्रवाई शुरू हो गई।

वायकोम सत्याग्रह पर चर्चा करते हुए विनीत तिवारी ने कहा कि 1924-25 में अस्पृश्यता की कुप्रथा के विरु( त्रावणकोर ;केरलद्ध में चलाया गया था। इसका उद्देश्य निम्न जातीय कहे जाने वाले एढ़वाओं एवं अन्य अछूत समुदायों द्वारा अहिंसावादी तरीके से त्रावणकोर के एक मंदिर के निकट की सड़कों के उपयोग के बारे में अपने अधिकारों को मनवाना था। इस आन्दोलन का नेतृत्व एढ़वाओं के कांग्रेसी नेता टी. के. माधवन, के. केलप्पन तथा के. पी. केशव मेनन ने किया। 30 मार्च, 1924 को के. पी. केशव के नेतृत्व में सत्याग्रहियों ने मंदिर के पुजारियों तथा त्रावणकोर की सरकार द्वारा मंदिर में प्रवेश को रोकने के लिए लगाई गई बाड़ को पार कर मंदिर की ओर कूच किया। सभी सत्याग्रहियों को गिरफ्तार किया गया।

ये आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम के महत्त्वपूर्ण पड़ाव थे। विनीत ने इस आंदोलन में गांधीजी और पेरियार की भूमिकाओं की चर्चा भी की और कहा कि आज सौ साल बाद वायकॉम आंदोलन को याद करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अभी तक भारतीय समाज से जातिगत भेदभाव को समाप्त नहीं किया जा सका है बल्कि अपने राजनीतिक और वर्चस्ववादी स्वार्थों के लिए समाज में जाति की दरारों को मिटाने के बजाय और गहरा किया जा रहा है।

कार्यक्रम में शर्मिष्ठा बैनर्जी ने गांधीजी का प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए रे, पीर पराई जाने रे” और गीतकार शैलेन्द्र के लिखे जनगीत प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में क्षेत्रीय पार्षद श्रीमती सैफू वर्मा के अतिरिक्त बड़ी संख्या में रहवासी और इप्टा इंदौर के प्रमोद बागड़ी, विजय दलाल, श्री अशोक दुबे, श्री अरविंद पोरवाल, श्री तौफीक, रविशंकर, अथर्व शिंत्रे, सुश्री महिमा आदि भी मौजूद थे।

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