देश का प्यारा किसान

बरसों से नारा उछालते, देश का प्यारा किसान,
भारत की अनदेखी करके इंडिया का गुणगान ।

किसान के आंगन में फैली बेबसी और लाचारी,
मजदूरों के तन पर अंकित, भूख और बीमारी ।
पानी, सड़क, स्वास्थ्य-शिक्षा का घोर अभाव,
बुनियादी सुविधाओं से बस्ती का नहीं लगाव ।
अपने अधिकारों के प्रति किसान रहे अनजान,
भारत की अनदेखी करके इंडिया का गुणगान ।

किसान रहे बदहाली में अपमान सदा पीते हैं,
इंडिया के महलों में कुत्ते दूध मांस पर जीते हैं।
ऊंची इमारतों से नहीं दिखता देश में अंधेरा है,
झोपड़ियों के सीने पर खड़ा महलों का सवेरा है।
फरहाद नई सुबह लाने को उठेगा नया तूफान,
भारत की अनदेखी करके इंडिया का गुणगान ।

अमरजीत कुमार “फरहाद”
लेखानगर, नाशिक

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