हां मैं धृतराष्ट्र हूं
छल , मोह , लालसा से
लबालब भरा किरदार हु
हां मैं धृतराष्ट्र हू
सत्ता के सिंहासन पर विराजमान,
धर्मसंकट का आधार हूँ
हां मैं धृतराष्ट्र हूं
हर युग में जो परिपाटी बन गया,
अपने ही कुल का विनाश हूं
हां मैं धृतराष्ट्र हूं
पिता की परिभाषा बदलने को आतुर,
पुत्र मोह में आज भी सरोबार हूं
हां मैं धृतराष्ट्र हूं
सत्य अहिंसा की सुनता
एक एक चित्कार हूं
इतना भी ना था बेबस लाचार ,
जिसका आज हकदार हूं
हां मैं धृतराष्ट्र हूं
कमल राठौर ‘साहिल’
शिवपुर मध्यप्रदेश