संजय शेरपुरिया की पुस्तक दिव्यदर्शी मोदी का भगवान शंकराचार्य ज्योतिर्मठ प्रयागराज में  भव्य लोकार्पण

प्रयागराज। श्री भगवान शंकराचार्य ज्योतिर्मठ प्रयाग राज में प्रख्यात लेखक और सामाजिक उद्यमी संजय शेरपुरिया की पुस्तक “दिव्यदर्शी मोदी” का भव्य लोकार्पण किया गया। पीठ में विगत 29 नवंबर से आरंभ हुए विराट स्मृति यज्ञ, कथा और विद्वत समागम में लोकार्पित इस पुस्तक के बारे में अनेक विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये। ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती और विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख दिनेश जी, एवं संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो हरिराम त्रिपाठी की उपस्थिति में इस पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए भारत के निर्माण की दिशा में अब तक किये गए कार्यों का वास्तविक लेखा जोखा प्रस्तुत करती संजय शेरपुरिया की इस पुस्तक के बारे में विद्वानों ने विशद चर्चा की। यह सभी ने कहा कि यह एक ऐसा संग्रह तैयार हुआ है जिसके माध्यम से प्रधानमंत्री की दिव्यदर्शी नीतियों के क्रियान्वयन और परिणाम से पाठक बहुत सहजता से परिचित हो जाता है। कार्यक्रम का स्वयं संचालन करते हुए अखिल भारतीय संत समिति एवं श्री गंगा महा सभा के अखिल भारतीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने अपने आधार वक्तव्य में कहा कि यह पुस्तक वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के विजन का प्रामाणिक दस्तावेज है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो त्रिपाठी ने कहा कि यह पुस्तक नए भारत का वह वास्तविक चित्र प्रस्तुत कर रही है, जिसको देख कर प्रत्येक भारत वासी को गौरव होना स्वाभाविक है। इस समारोह में उपस्थित अनेकानेक विद्वानों ने संजय शेरपुरिया के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस पुस्तक को तैयार करने में जिस प्रकार से विषयों को नियोजित किया गया है, वह अत्यंत श्रमसाध्य है। इसके लिए संजय शेरपुरिया बधाई के पात्र हैं। इस समारोह में प्रख्यात राष्ट्रवादी चिंतक और भागवत विशेषज्ञ आचार्य स्वामी जितेन्द्रनाथ जी की विशेष उपस्थिति रही। ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद जी ने इसके लिए विशेष रूप से आशीर्वाद देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्वगुरु बनने की राह पर अग्रसर है। इस समारोह में काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष, महामंत्री, अन्य वरिष्ठ पदाधिकारीगण, अनेकानेक विद्वान और आचार्यगण आदि उपस्थित थे।

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