कोरोना को हराने के लिए भारत ने दुनिया के समक्ष रखा 9 सूत्री एक्शन प्लान
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की डिजिटल खुली बहस में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लिया हिस्सा
नई दिल्ली। वैश्विक आपदा के दौर में एक तरफ जहां भारत स्वदेशी वैक्सीन के जरिए सम्पूर्ण मानवजाति को निरोगी बनाने में जुटा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ अदृश्य दुश्मन से लड़ी जा रही इस जंग में विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाकर खुद की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ ही दुनिया को बेहतर रणनीति भी सुझा रहा है। कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र देशों के शत्रुता उन्मूल पर प्रस्ताव 2532 (2020) के क्रियान्वयन पर बुधवार को आयोजित हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की डिजिटल खुली बहस, जिसमें विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर ने मानव स्वास्थ को लेकर लड़े जा रहे इस युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए दुनिया के समक्ष 9 सूत्री एक्शन प्लान रखा।

विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर ने श्रीमद भगवतगीता के दर्शन से दुनिया का परिचय कराते हुए कहा ”अपना काम हमेशा दूसरों के कल्याण को ध्यान में रखकर करें।” गीता के इस ज्ञान के माध्यम से उन्होंने संकट की इस घड़ी में दुनिया को लेकर भारत की सोच को प्रदर्शित किया। इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक मंच से संयुक्त राष्ट्र संघ के समस्त सदस्यों देशों के सामने इन 9 एक्शन प्लान को प्रस्तुत किया।
1. नए लोगों को संक्रमित करने एवं रूपांतरित होने की क्षमता को धीमा करने के लिए अन्य सार्वजनिक उपायों के साथ टीकाकरण अभियान चलता रहना चाहिए।
2. वायरस के वेरिएंट को ट्रैक करने के लिए जीनोमिक निगरानी से संबंधित जानकारी के आदान प्रदान को व्यवहार में शामिल करना चाहिए।
3. टीके की प्रतिरोधक क्षमता के बारे में सार्वजनिक तौर पर प्रभावी ढंग से बताना चाहिए। लोगों के डर और चिंताओं को दूर करने के लिए टीका संबंधी जानकारी वैज्ञानिक एवं सटीक तथ्यों के साथ प्रासंगिक, सामयिक और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील होनी चाहिए।
4. सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार करते हुए प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम टीका वितरण की क्षमता को बढ़ाना चाहिए। विशेष कर उन क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य का बुनियादी ढाँचा कमजोर है।
5. वैक्सीन राष्ट्रवाद को बंद करते हुए अंतर्राष्ट्रीयता के भाव को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। आवश्यकता से अधिक वैक्सीन की जमाखोरी सामूहिक स्वास्थ्य सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में हमारे प्रयासों को कमजोर करेगा।
6. कोवैक्स सुविधा को मजबूत करने की जरूरत है, जिससे उचित और न्यायसंगत तरीके से सभी में टीकों का समान रूप से वितरण सुनिश्चित किया जा सके।
7. दुनिया भर में टीकाकरण कार्यक्रमों की फिर से शुरूआत की जाए, जिससे बच्चों को अन्य बीमारियों से बचाया जा सके।
8. दुष्प्रचार करने वाले अभियानों पर रोक लगाई जाए।
9. अपनी क्षमता में सुधार करते हुए प्रोटोकॉल विकसित कर ज्ञान आधारित विशेषज्ञता का निर्माण करना चाहिए। जिससे अगले वैश्विक महामारी से बचा जा सके।
ग़ौरतलब है कि कोविड-19 के खिलाफ इस वैश्विक लड़ाई में भारत सबसे आगे है। महामारी जब चरम पर थी उस दौरान भारत ने 150 से अधिक देशों को महत्वपूर्ण दवाएँ, डायग्नोस्टिक किट, वेंटिलेटर और पीपीई किट प्रदान किया था, जिनमें से लगभग 80 देशों को अनुदान के आधार पर दिया गया था। वैक्सीन मैत्री अभियान के तहत भारत पड़ोसी देशों समेत अब तक 25 देशों को मेड इन इंडिया टीका भेज चुका है। आने वाले दिनों में यूरोप, उत्तरी अमेरिका, लैटिन अमेरिका, कैरेबियन से अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत द्वीपों तक 49 देशों को भारत में निर्मित टीका की आपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के लिए भारत ने कोरोना रोधी वैक्सीन की 2 लाख खुराक तोहफे में देने की घोषणा की है।