एक मजबूत चेहरा बनकर उभर रहे हैं राकेश टिकैत

नई दिल्ली। किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चे में शामिल 40 किसान संगठन शामिल हैं। यह आंदोलन लगभग 75 दिनों से दिल्ली के सीमाओं पर चल रहे हैं। विभिन्न किसान संगठनों के नेता इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के मौके पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से लगने लगा था कि अब किसान आंदोलन बेनतीजा ही खत्म हो जायेगा। 27 जनवरी को गाजीपुर बार्डर पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती के बाद वहां से लोगों का धीरे—धीरे चले जाने के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का भावुक हो जाना आंदोलन में फिर से एक बार जान फूंक दी।

दिल्ली और हरियाणा के आसपास से उसी रात किसान गाजीपुर बार्डर के चल दिए। किसानों का इस तरह का जमावडा देखकर पुलिस प्रशासन को पीछे हटना पड़ा और किसान आंदोलन फिर से अपने पहले रूप में आ गया। राकेश टिकैत के समर्थन में जगह—जगह हो रहे महापंचायतों में उमड़ रही भीड़ को देखकर तो यही लगता है कि राकेश टिकैत आंदोलन और किसानों का एक प्रमुख चेहरा बनकर उभर रहे हैं।

बताते चलें कि उनके पिता महेन्द्र सिंह टिकैत देश के जाने—माने एक किसान नेता थे और उन्होंने कई प्रमुख किसान आंदोलन किए थे।

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