दिल्ली के एक भक्त ने शिरडी के एक कुमावत के खिलाफ साईं भक्त से 51 लाख रुपये की ठगी करने का मामला दर्ज कराया

  •  दिल्ली के साईं भक्त मनोज जैन सागर से 51 लाख रुपये की ठगी
  • ठगी के शिकार मनोज जैन सागर ने शिरडी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई
  • साईं भक्त मनोज जैन सागर ने धर्मशाला बनाने की मंशा से जमीन का सौदा किया था
  • अभियुक्त विजय छगनराव कुमावत पुलिस स्टेशन से फरार हो जाता है और अभी फरार है
  • शिरडी पुलिस अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है

नई दिल्ली। शिरडी के विजय कुमावत ने दिल्ली के एक साईं भक्त से 51 लाख रुपये की ठगी की है। शिरडी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई है। इस संबंध में अधिक जानकारी यह है कि मनोज कुमार राजेंद्रकुमार जैन, उम्र 45, नई दिल्ली ने शिरडी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है कि, मैं विजय छगनराव कुमावत, दत्तनगर, शिरडी, ताल. राहाता का निवासी हूं, मेरे पास शिरडी नगर पंचायत की सीमा के अंतर्गत दत्तनगर क्षेत्र में सर्वे क्रमांक 9/103 में कुल 10/89 वर्ग फीट जमीन है और उस पर 4500 वर्ग फीट का चार मंजिला निर्माण है। इसमें 9 फ्लैट हैं और उनके रहने के लिए 1 मंजिल है। जिसमें से उन्होंने 9 कमरे किराए पर दे रखे हैं। मैं उस इमारत को साईं भक्तों से मुफ्त में खरीदना चाहता था। तदनुसार दिनांक 01/07/2024 को मुझे अपने परिचित साईं भक्त खांडू गोरडे के माध्यम से विजय छगनराव कुमावत के मकान के बारे में उपरोक्त जानकारी मिली तो मैंने सौदा कर लिया और उक्त जमीन मुझे 1 करोड़ 1 लाख रुपए में बेच दी गई। मैं उसके साथ राहत कोर्ट गया और 100 रुपए के बांड पर नोटरी करवा ली।

मैंने उसे एडवांस के तौर पर 81,000/- रुपए नकद और मोबाइल के जरिए 95,000/- रुपए, फोनपे के जरिए 75,000/- रुपए और पेटीएम के जरिए 2,51,000/- रुपए कुल 2,51,000/- रुपए दिए। साथ ही उसे शेष रकम 1,08,49000/- रुपए 11/09/2024 को देना तय हुआ। और क्रय विलेख के अनुसार मकान का कब्जा मुझे देना तय हुआ। और तय हुआ कि खरीददारी की जाएगी। उन्होंने लिखकर दिया था कि उक्त जमीन पर विजय छगनराव कुमावत के अलावा किसी का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही उक्त जमीन को उनके अलावा कोई बेच भी नहीं सकता। और अगर इस जमीन पर किसी भी तरह का बैंक का लोन है तो मैं विजय छगनराव कुमावत उसे चुकाऊंगा और बदले में बैंक की एनओसी लेकर मकान पर लगे सभी टैक्स चुकाकर उसे क्लियर करवा लूंगा और खरीद लूंगा। साथ ही खरीददारी और जमीन का खर्च भी मैं ही उठाऊंगा। हम निवास पर गए और उनके परिचित वकील के माध्यम से अंग्रेजी में नोटरी करवा ली और उस समय जब मैंने उनसे जमीन के कागजात मांगे तो उन्होंने मुझसे कहा कि आप श्री साईं के भक्त हैं और दानदाता हैं, हम आपको कागजात व्हाट्सएप पर भेज देंगे। उसके बाद विजय छगनराव कुमावत ने मुझे दैनिक समाचार पत्र में 05/07/2024 और 06/07/2024 को प्रकाशित सार्वजनिक सूचना की फोटो भेजी। और उसने मुझे फोन पर बताया कि मैंने अखबार में सार्वजनिक सूचना दी है।

मैंने उसकी प्रतियां आपको भेज दी हैं। उसके बाद उसने मुझे दो दिन बाद फोन किया और मुझसे 25,00,000/- रुपए की मांग की। उस समय मैंने उससे कहा कि मैं क्रय विलेख के समय पूरी राशि दे दूंगा और अब मैं भुगतान नहीं करूंगा। फिर उसने मुझसे कहा कि मुझे पैसों की जरूरत है क्योंकि मेरा बैंक घोटाला है। अगर आपने भुगतान नहीं किया तो मैं उक्त जमीन किसी और को बेच दूंगा और आपने नोटरी के समय जो 2,51,000/- रुपए का भुगतान किया था वह खत्म हो जाएगा। इस पर मैंने विजय छगनराव कुमावत के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते से उसके द्वारा दिए गए यूनियन बैंक के खाता क्रमांक 587701980050000 क्रमांक 34743751541 में आरटीजीएस के माध्यम से रुपए ट्रांसफर कर दिए। 25,00,000/- लाख रुपए बैक आरटीजीएस के माध्यम से जमा करवा दिए।
उसके बाद मुझे उसका फिर से फोन आया और उसने 15,00,000/- रुपए की मांग की और कहा कि अगर मैंने भुगतान नहीं किया, तो आपके द्वारा पहले दिए गए सभी पैसे खो जाएंगे। उसने मुझे व्हाट्सएप पर यूनियन बैंक का खाता नंबर 587701980050000 दिया, इसलिए मैंने 25/07/2024 को आरटीजीएस के माध्यम से यूनियन बैंक के खाता नंबर 587701980050000 में 15,00,000/- लाख रुपये जमा कर दिए। उसके बाद, मुझे अगस्त के महीने में फिर से उसका फोन आया, जिसमें कहा गया कि “मुझे 10,00,000/- लाख रुपये फिर से भेज दो, क्योंकि रक्षा बंधन का त्योहार है, मैं अपनी बहनों को पैसे देना चाहता हूं। अगर मैंने उन्हें पैसे नहीं दिए, तो वे जमीन बेचने में बाधा उत्पन्न करेंगे।

मुझे 19/08/2024 तक पैसे भेज दो नहीं तो तुमने जो पैसे दिए हैं, उन्हें भूल जाओ। वह कहने लगा और उसने मुझे रुपये भेज दिए। 05,00,000/- लाख रुपए व्हाट्सएप पर मेरे बैंक ऑफ बड़ौदा खाते में तथा 03.49,000/- लाख रुपए उसके दिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया खाते में जमा करवा दिए। मैंने उसे कुल 51,00,000/- लाख रुपए दे दिए। फिर अगस्त के आखिरी सप्ताह में विजय छगनराव कुमावत का फोन आया और उसने कहा कि मुझे 15 से 20 लाख रुपए भेज दो। जब मैंने उससे कहा कि अभी नहीं दे रहा हूं, परचेज डीड के समय सारा पैसा दे दूंगा। उसके बाद जब मैंने प्रॉपर्टी डीलर गोरडे से फोन पर बात की तो उसने कहा कि विजय छगनराव कुमावत धोखेबाज है और उस पर बैंक का लोन है। आप यहां आए और कहा कि मैं 03/09/2024 को, मैं शिरडी आया और डीलर के साथ विजय छगनराव कुमावत से मिला और उसके साथ राहाता में एक वकील के पास गया और वहां जाने के बाद उसने एक नोटरी पेपर पर लिख दिया कि मुझे 51,00,000/- लाख रुपये नकद और बैंक आरटीजीएस और एनईएफटी और फोन पे के माध्यम से प्राप्त हुए हैं। और उसने हस्ताक्षर भी किए कि पैसे प्राप्त हुए हैं। उसके बाद, जब मैं दिल्ली गया, तो उसने मुझे 04/09/2024 को व्हाट्सएप पर एक रसीद भेजी कि मैंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा शिरडी में 27,00,000/- लाख रुपये का भुगतान किया था और मुझे झूठा बताया कि यह रसीद बैंक की एनओसी है और फिर से मुझसे 15 से 20 लाख रुपये की मांग करने लगा। उस पर, मैंने उनसे कहा कि यह एनओसी नहीं है। मैंने ऐसा कहा आपको शिरडी आना चाहिए। उसके बाद मैं शिरडी आया और चौधरी संभाजीनगर गया तथा यूनियन बैंक में जाकर विजय छगनराव कुमावत के खाते की जांच की तो मुझे जानकारी मिली कि नोटरीकृत मकान उनके और उनकी पत्नी के नाम पर बंधक है तथा उन पर 45,42,000/- रुपए का ऋण है। उसके बाद मैंने उनसे समय-समय पर बैंक की एनओसी प्राप्त करने तथा उक्त भूमि का क्रय विलेख प्राप्त करने का अनुरोध किया, परंतु उन्होंने मुझे 5/7 नोटरी के अनुसार क्रय विलेख नहीं दिया। तथा उन्होंने मुझसे समय-समय पर उपरोक्तानुसार पैसे लेकर मेरे साथ धोखाधड़ी की है। इस प्रकार की कानूनी शिकायत विजय छगनराव कुमावत, निवासी दत्तनगर, शिरडी, ताल. राहाता, जिला. अहिल्यानगर के विरुद्ध शिरडी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई है। इस शिकायत के आधार पर शिरडी पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 316(2), 318(4), 340(2), 336(2) के तहत अपराध रजिस्टर क्रमांक 0641 के तहत मामला दर्ज किया गया है। आगे की जांच शिरडी पुलिस द्वारा की जा रही है।

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