स्लम बस्तियों में महिलाओं को मास्क और सैनिटाइजर बनाना सिखाकर हुनरमंद और रोजगार मुहैया करा रही सरिता

सहरसा:- कोविड -19 संक्रमण से बचाव में वैक्सीन के आने तक मास्क को ही सबसे कारगर बताया जा रहा है। दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी को हर कोई अपने दैनिक जीवन में अपना रहा है। इन सब बातों को स्लम बस्ती की गरीब महिला, पुरुष और बच्चों को समझाने और उन्हें जागरूक करने के लिए  समाजसेवी सरिता राय कोविड 19 के शुरुआती दिनों से अबतक लगी हुई हैं। पूरे लॉकडाउन के दौरान शहर की तमाम स्लम बस्तियों में वह अपने सहयोगियों के साथ जागरूकता अभियान चलाती रही।

मास्क एवं हैण्डवाश की महता बताने के साथ उन्हें मास्क, साबुन, सैनिटाइजर मुहैया भी कराती रही। गरीब, जरूरतमंदों के उस दौरान खाने-पीने की दिक्कत को देखते हुए वह सूखा राशन और घर गृहस्थी के जरूरी सामान स्लम बस्तियों में वितरित करती रही। सरिता ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब वह स्लम बस्तियों में लोगों को खासकर महिलाओं को कोरोना से बचाव करने को जागरूक करने जाती थी तो देखती थी कि लोगों के पास पैसे और काम नहीं है।

लोगों के रोजगार छूट गए थे ऐसे में उन्हें घर पर ही मास्क और सैनिटाइजर बनाने की ट्रेनिंग देने लगी।मास्क के लिए कपड़े भी देती थी। जब वह मास्क बना लेती थी तो उनसे ही मास्क खरीद लेती जिससे उनकी भी कुछ आमदनी हो जाए। साथ ही महिलाओं को घर पर ही नीम के पत्ते, फिटकरी और कर्पूर से सैनिटाइजर बनाना सिखा देती थी। इससे इन गरीब महिलाओं की आर्थिक परेशानी भी कुछ कम हो जाती थी। कोविड-19 के शुरुआती दिनों से ही वह रोजाना घर से निकलती रही हैं। इस दौरान वह कोविड-19 के गाइड लाइन का पूरा पालन करती रही।

मास्क लगाकर ही घर से निकलती और साथ में हैण्ड सैनिटाइजर रख लेती थी। फिर घर आने पर हाथ धोने, सैनिटाइजर लगाने का काम करती हैं।इस दौरान वह जहाँ भी जाती तो लोगों को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के लिए पोषक आहार अपनाने को प्रेरित करती हैं। उनकी राय में पॉजिटिव सोच से कोरोना पर विजय प्राप्त की जा सकती है।

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