भारत के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण में प्रीकास्ट निर्माण तकनीक का व्यापक उपयोग

नई दिल्ली। एनसीआरटीसी भारत के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर के निर्माण में बड़े पैमाने पर प्रीकास्ट निर्माण तकनीक का उपयोग कर रहा है। निर्माण के दौरान लोगो की असुविधा को कम करने और दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर को समय पर पूरा करने के लिए आरआरटीएस स्टेशनों और वायाडक्ट के निर्माण के लिए प्रीकास्ट तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया गया है।

कॉरिडॉर के सभी एलेवतेड़ स्टेशन जैसे सराय काले खां, न्यू अशोक नगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, मुरादनगर, मोदीनगर उत्तर, मोदीनगर दक्षिण और मेरठ के सभी स्टेशनो के कॉनकोर्स और प्लेटफॉर्म लेवल का निर्माण कार्य प्री-कास्ट तकनीक की मदद से किया जा रहा है। इसके लिए सेकेंडरी बीम, पियर आर्म्स और अन्य स्टेशन के हिस्से कास्टिंग यार्ड में तैयार किए जाते हैं और उच्च क्षमता वाले रिग और क्रेन की मदद से स्टेशनों और वायडक्ट्स पर जोड़े जाते हैं। निर्माण कार्य में गुणवत्ता और समय की बचत सुनिश्चित करने के लिए स्टेशन के पास के अन्य कार्य जैसे आरसीसी ड्रेन, वाटर हार्वेस्टिंग पिट आदि जैसे कार्यों को भी प्री-कास्ट तकनीक से बनाया जा रहा है।

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आरआरटीएस का एलिवेटेड वायाडक्ट, लॉन्चिंग गैन्ट्री (तारिणी) का उपयोग करके पहले से ही बनाया जा रहा है जो एक आरआरटीएस वायडक्ट के निर्माण के लिए गर्डर के विभिन्न भारी खंडों को उठाता है और उसे आपस में जोड़ता है। इस जटिल परियोजना के लिए अभिनव तरीके से प्री-कास्टिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है जिसमें कुछ प्रकार की संरचनाएं देश में पहली बार इस प्रकार के जटिल परियोजना के लिए प्री-कास्ट की जा रही हैं।

आरआरटीएस के निर्माण कार्य में 70 से 80 प्रतिशत से भी अधिक तक की सिविल संरचनाओं को प्रीकास्ट किया जा रहा है जो कास्टिंग यार्ड में ऑटो लॉन्चिंग गैन्ट्री की मदद से लगातार चल रही है। यह पूरी प्रक्रिया ऑन-साइट निर्माण के साथ साथ चलती है जो परियोजना निर्माण अवधि को कम कर देती है। प्री-कास्ट बॉक्स गर्डर सेगमेंट, ओएचई पैरापेट्स, आई-गर्डर्स, पोर्टल यू-शेल्स, ट्रैक स्लैब, स्टेशन स्ट्रक्चर आदि जैसे सरंचनाए आरआरटीएस के स्टेशन और वायडक्ट के निर्माण की तीव्र गति को सुनिश्चित कर रहे हैं। इन प्रीकास्ट संरचनाओं का उपयोग करने से पहले गहन गुणवत्ता जांच भी सुनिश्चित की जाती है।

हालांकि, प्री-कास्ट सरंचनाओं की इतनी बड़ी मात्रा को संभालना कोई आसान काम नहीं है। इन सरंचनाओं को सम्पूर्ण 82 किलोमीटर के कॉरिडॉर मे प्रयोग करने के लिए वर्तमान में 10 अत्याधुनिक कास्टिंग यार्ड, दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के विभिन्न स्थानों पर उच्च तकनीक सुविधाओं के साथ बड़े पैमाने पर 24 X 7 काम कर रहे हैं। ये कास्टिंग यार्ड सीसीटीवी कैमरों से भी लैस हैं और हर निर्माण गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखी जाती है।

पारंपरिक ऑन-साइट निर्माण के विपरीत, जिसमें साइट पर भारी मात्रा में निर्माण सामग्री, मशीनरी और जनशक्ति जुटाने की आवश्यकता होती है, विभिन्न सिविल संरचनात्मक तत्वों की प्री-कास्टिंग ने साइट पर ट्रेफिक की समस्या, लोगो की असुविधा और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों को काफी कम कर दिया है। इस तरह की तकनीक निर्माण के समय को काफी कम कर देती है और इसके परिणामस्वरूप निर्माण कार्य बिना किसी दोष के, सुरक्षित वातावरण में संभव हो पाती है। यह साइट के उपयोग के समय को भी कम करता है और समय पर सड़कों से बैरिकेड्स हटाना संभव हो जाता है।

कोविड-19 महामारी की अवधि के दौरान इस तकनीक के द्वारा निर्माण कार्य बहुत ही सहायक सिद्ध हुआ क्योंकि कास्टिंग यार्ड के एक नियंत्रित साइट होने के कारण, श्रमिकों को प्रशिक्षित करना, उनकी निगरानी करना और श्रमिकों के बीच COVID-19 संबंधित मानदंडों को लागू करना काफी आसान हो गया। आरआरटीएस एक मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है जो लोगों को सार्वजनिक परिवहन को अपनाने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यात्रा करने के तरीके को बदलने के लिए निर्माणाधीन है। यह उच्च गति वाले रीजनल रेल नेटवर्क के माध्यम से एनसीआर के प्रमुख-शहरी नोड्स में निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर, जो एनसीआर में परिकल्पित आठ गलियारों में से पहला है, गाजियाबाद, मुरादनगर और मोदीनगर के घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होकर गुजरता है, जहां कॉरिडॉर का बड़ा हिस्सा दिल्ली-मेरठ रोड के मध्य में है। यह कॉरिडॉर दिल्ली और मेरठ के क्षेत्रों की घनी आबादी और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से भी गुजरता है।

एनसीआरटीसी यात्रियो, स्थानीय राहगीरों, व्यापारियों और पूरे क्षेत्र के निवासियों को कम से कम असुविधा के साथ, निर्माण कार्यों को सुरक्षित और समय से पूरा करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपना रहा है। परियोजना के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जा रही तकनीकों में से ही एक है विभिन्न सिविल संरचनाओं की प्री-कास्टिंग और साइट पर सुद्ध निर्माण को कम करना।

कोविड 19 महामारी की तीन लहरों के बावजूद, एनसीआरटीसी बड़े पैमाने पर प्री-कास्ट तकनीक के उपयोग के कारण निर्माण की गति को समय पर बनाए रखने में सक्षम है। वर्तमान में पूरे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर तेजी से कार्य सुनिश्चित करने के लिए हाल में ही 20वी लॉन्चिंग गैन्ट्री (तारिणी) को भी तैनात किया गया है।

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