चुनी हुई जनतांत्रिक सरकार को एक कट्टरवादी संगठन ने उखाड़ फैंका- राजीव शर्मा

अमित गोस्वामी (गोवर्धन) – जिला कांग्रेस व्यापार उद्योग एवं चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राजीव शर्मा ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को लेकर अपने विचार प्रकट किए उन्होंने कहा पूरा विश्व और संयुक्त राष्ट्र परिषद चुपचाप तमाशा देखते रहे ना संयुक्त राष्ट्र संघ ने और ना ही विश्व के किसी देश ने तालिबान को रोकने का प्रयास किया। पिछले 4 माह से लग रहा था कि तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होगा लेकिन पूरे विश्व की बेरुखी हैरान करने वाली है।

सबसे ज्यादा कूटनीतिक पराजय इसमें भारत सरकार की है तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने से कश्मीर में आतंकवाद पनप सकता है क्योंकि अफगानिस्तान और भारत के बीच सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर है, पाकिस्तान को तालिबान का पहले से ही मित्र माना जाता रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर के जरिए तालिबान कभी भी सीमा में घुसकर आतंकवाद फैला सकता है।

भारत सरकार को सीधे हस्तक्षेप से बचना जरूरी था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान के खिलाफ जनमत तैयार करके तालिबान, पाकिस्तान और चीन पर दबाव बना सकते थे। जब अमेरिका ने वहां से सेना हटाने की बात कही थी उसी समय से हमें संयुक्त राष्ट्र संघ में दबाव बनाकर वहां पर शांति बहाली के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की सेना की मांग करनी चाहिए थी। हमारा अफगानिस्तान में काफी बड़ा निवेश रहा है और मोदी सरकार ने भी काफी निवेश किया है अब उस निवेश की देखाभाली कैसे हो पाएगी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाकर हम तालिबान को अफगानिस्तान पर काबिज होने से रोक सकते थे जो कि हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए अच्छा होता। अफगानिस्तान सरकार से हमारे अच्छे संबंध थे और अगस्त माह में भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का अध्यक्ष भी था, जिसका हमें उचित फायदा उठाना चाहिए था। हमें सन 1970, 71 की श्रीमती इंदिरा गांधी की राजनीतिक, कूटनीतिक चाल से सबक लेना चाहिए था। अब हम ना तो खुल कर तालिबान सरकार का विरोध कर सकते है और ना ही समर्थन। हो सकता है कुछ दिन बाद हमे तालिबान सरकार को मान्यता भी देनी पड़े।

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