ऋतु ये वसंत आई
ऋतु ये वसंत आई फूलों की बहार लाई
मन में सुमन खिल रहे हैं दिन रात में
यौवन पे ये निखार करके सौलह श्रृंगार
इठलाती जा रही हो बात बिना बात में।
जुल्फें ये झूम झूम गालों को रही है चूम
त्रबिध समीर बहे रात में प्रभात में
प्रिये की कसम तोड़ फूलों की ये सेज छोड़
जाओ न अकेला छोड़ प्यार भरी रात में।।
कवि दिनेश सिंह सेंगर
अम्बाह जिला-मुरैना मध्यप्रदेश