उत्तराखण्ड महोत्सव 2021 का सफल आयोजन

लखनऊ। उत्तराखण्ड महापरिषद लखनऊ उत्तराखण्ड वासियों की प्राचीन व गौरवमयी संस्था है जिसकी स्थापना वर्ष 1948 में भारत रत्न पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त प्रथम मुख्यमन्त्री उत्तर प्रदेश द्वारा स्थापित की गई। उत्तराखण्ड महापरिषद प्रत्येक वर्ष उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर दस दिवसीय उत्तराखण्ड महोत्सव का आयोजन पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन गोमती तट के किनारे करते आ रहे हैं। विगत वर्षो की भॉति इस वर्ष भी 9 नवम्बर 2021 को दस दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ एवं महोत्सव का समापन श्री पुष्कर सिंह धामी माननीय मुख्यमंत्री के कर कमलों द्वारा किया गया। इस वर्ष उत्तराखण्ड महापरिषद द्वारा उद्घाटन अवसर पर पदमश्री एवं पदमभूषण से सम्मानित डॉ0 अनिल प्रकाश जोशी भारत के महान पर्यावरणविद को उत्तराखण्ड गौरव के सम्मान से नवाजा गया विगत वर्षों में वर्तमान के सी0डी0एस0 भारत के पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल विपिन रावत भी महोत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

एतिहासिक उत्तराखण्ड महोत्सव 2021 के सफल आयोजन के बाद उत्तराखण्ड महापरिषद द्वारा हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं विकास पर आधारित पारम्परिक लोक कलाओं का प्रशिक्षण तथा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन राजकीय इण्टर कालेज शंकरपुर जनपद पौढ़ी गढवाल उत्तराखण्ड में किया गया जिसका उद्घाटन बी0 एन0 शर्मा प्रधानाचार्य महोदय के कर कमलों द्वारा किया गया कार्यक्रम में महापरिषद के महासचिव बी0एस0 बिष्ट एवं सांस्कृतिक सचिव महेन्द्र सिंह गैलाकोटी ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिहन भेंट कर किया गया कार्यक्रम का संचालन महासचिव बी0एस0बिष्ट द्वारा किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का नृत्य निर्देशन महेन्द्र सिंह गैलाकोटी संगीत निर्देशन हेम चन्द्र शर्मा द्वारा किया गया। ंइस अवसर पर हिमालय क्षेत्र की पारम्परिक एवं पौराणिक लोकसंस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये जो निम्नवत् है-

  1. वन्दना-यो हिमाल माजा शिव को कैलाशा प्रस्तुति।
    2.उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोक गीत लोक गायक चन्दन िंसह मेहरा जी की प्रस्तुति जिसके बोल हैं। रंगीली बिन्दी घाघरी काई।
  2. गढवाल का पारम्परिक लोक गीत महेन्द्र भैसोडा द्वारा तू दिख्यान्दी ज्वानी ज्यूनाली।
  3. उत्तराखण्ड का सुप्रसिद्ध लोक गीत हेम चन्द्र शर्मा द्वारा जिसके बोल हैं तेरी खुट्यूॅ मॉ लगन्दी।
  4. उत्तराखण्ड की सुप्रसिद्ध छपेली पार भीडे की बसन्ती छोरी रूमा झुमा चन्दन िंसह मेहरा की प्रस्तुति।
  5. झॉकी- नन्दा देवी राजजात यात्रा। मुख्य आकर्षण
  6. एकल गायन महेन्द्र भैसोडा द्वारा मेरा डांडी काठ्यों का मुलुक जैलूॅ।
  7. उत्तराखण्ड का पारम्परिक झोड़ा नृत्य जिसके बोल हैं खोली दे माता खोली भवानी।
  8. उत्तराखण्ड का सुप्रसिद्ध लोक गीत अल्मोडे बजार कमला नै मार लटका गायन हेम चन्द्र शर्मा।
  9. सामुहिक नृत्य कलाकारों द्वारा।
    संगीत निर्देशन – श्री हेम चन्द्र शर्मा एवं नृत्य निर्देशन महेन्द्र िंसह गैलाकोटी।
    गायन कलाकार- श्री चन्दन िंसह मेहरा, हेम चन्द्र शर्मा, महेन्द्र सिंह भैसोड़ा आदि।
    नृत्य कलाकार- ललिता साह, माही राणा, मालविका रावत, पिंकी गहतियारी,मनोज जोशी, प्रकाश थापा गौरव पडलिया, संजीव आर्य, लाल िंसह बिष्ट, कमल सिंह बोरा एवं चन्दन सिंह नेगी आदि। वाद्य कलाकार- की-बोर्ड पर कीर्ति दयाल, ढोलक शंकर असवाल,बांसुरी वादक महेन्द्र सिंह आक्टो पैड पर मैगी भाई,।
    कार्यक्रम का संचालन बी0 एस0 बिष्ट जी द्वारा किया गया इस अवसर पर विद्यालय परिसर के प्रधानाचार्य, समस्त छात्र, छात्रायें अध्यापक गण क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति सहित सैकडों सम्मानित दर्शक गण मौजूद रहे और संस्था के अध्यक्ष महोदय ने सभी गणमान्य एवं क्षेत्रीय जनता,प्रधानाचार्य महोदय समस्त अभिभावक गण, अतिथियों एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार का आभार व अभिनन्दन व्यक्त किया।

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