आखिर क्यों छलके राकेश टिकैट के आंसू…

नई दिल्ली। 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मद्दे नजर पुलिस प्रशासन एक्शन के मूड में आ गया। अब तक शांतिपूर्ण चल रहे किसान आंदोलन को अपार जनसमर्थन मिल रहा था। लेकिन लाल किला और आईटीओ पर कुछ षडयंत्रकारी किसान के तांडव के कारण किसान आंदोलन में बिखराव आने लगा। दो किसान संगठन अपने को आंदोलन से अलग कर लिया। अभी तक कुल चार किसान संगठनों ने अपना धरने को खत्म कर दिया है।

पुलिस प्रशासन ने गाजीपुर बार्डर को गुरूवार रात तक खाली कराने के अल्टीमेटम के साथ भारी संख्या में पुलिस और फोर्स के साथ गाजीपुर बार्डर पर पहुंचे। यह देखकर वहां पर मौजूद किसान भयवश वहां से निकलने लगे। किसान नेता को लगने लगा कि इतने लंबे से शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बिखर जायेगा। उनको लगने लगा था कि किसानों की लड़ाई अब अधूरी रह जायेगी। राकेश टिकैत अपनी मांगों को लेकर धरना स्थल पर अड़े रहे और कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन खत्म नहीं करेंगे और प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान ही अपने भावनाओं को नहीं रोक सके, वे फूट-फूटकर राने लगे।

किसान नेता राकेश टिकैट की फूट-फूटकर राने की वीडियो ज्यों वायरल हुई। दिल्ली के आसपास के इलाके से हजारों की संख्या में किसान गाजीपुर बार्डर के लिए आना शुरू हो गए। हरियाणा के कुछ इलाको से किसान गाजीपुर बार्डर पर पहुंचने लगे हैं।
वहीं सपा अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फोन पर राकेश टिकैट के हालचाल लिए है। जयंत चैधरी के भी गाजीपुर बार्डर पहुंचने की खबर है।

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