आईएसआईसी ने घुटने की सर्जरी में किया सुधार
नई दिल्ली: 22 वर्षीय सुमन (बदला हुआ नाम) को शादी के कई प्रस्ताव आये लेकिन उनके घुटनों में समस्या होने के कारण उनकी शादी कहीं नहीं हो पा रही थी। इससे वह बहुत टूट गयी थी। बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक होने के कारण उनके माता-पिता उनके घुटने की सर्जरी को नहीं करा पा रहे थे।
इसके बाद उनके पड़ोसियों ने उन्हें इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (ISIC), नई दिल्ली में भेजा, जहां डॉक्टरों ने हड्डी की समस्या को ठीक करने, कम कीमत में, दिखने वाले निशान को हटाने और हॉस्पिटल में भर्ती होने तथा तेजी से ठीक होने में उनकी मदद की।

सर्जरी के 4 महीने बाद उनकी शादी पिछले महीने एक ऐसे व्यक्ति से हुई थी जिसके साथ वह रहना चाहती थी डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने घुटने (जेनु वाल्गम) को ठीक करने के लिए प्रचलित सर्जिकल प्रक्रिया में सुधार किया, जिसे चिकित्सकीय रूप से सुपरकॉन्डिलर ओस्टियोटॉमी के रूप में जाना जाता है।
संशोधित प्रक्रिया (सर्जरी) किफायती है, इसमें इम्प्लांट की जरुरत नहीं होती है, बिना किसी निशान के टूट-फूट को पूरी तरह से ठीक किया जाता है, और 3 महीने के भीतर ही मरीज चलने के काबिल हो जाता है।
इस प्रक्रिया से मरीज इम्प्लांट रिमूवल के लिए दूसरी सर्जरी से बच जाता है। पिछले एक साल में इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (ISIC), नई दिल्ली के डॉक्टरों ने 16 से 22 साल की उम्र की 10 लड़कियों का ऑपरेशन किया, जिसमे से 8 लड़कियों के दोनों घुटनों में समस्या थी जबकि बाकी 2 लड़कियों के एक घुटने में समस्या थी।