तेलंगाना अखिल भारतीय किसान सभा का दूसरा राज्य सम्मेलन सम्पन्न

राम नरसिम्हा राव
तेलंगाना अखिल भारतीय किसान सभा के दूसरे राज्य सम्मेलन के दौरान 2 जुलाई को सूर्यपेट जिले के हुजूरनगर स्थित टीवी चैधरी प्रांगणं में आमसभा आयोजित की गई। आमसभा की अध्यक्षता एआईकेएस के राज्य महासचिव पस्या पदमा ने की। एआईकेएस राष्ट्रीय महासचिव रावुला वेंकैयाह ने सम्मेलन के मुख्य अतिथि के रूप में आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, “जिस तरह के उत्साह के साथ किसानों ने किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ मजबूती के साथ संघर्ष किया था उसी तरह के उत्साह के साथ मोदी नीत भाजपा सरकार को सत्ता से बाहर करना चाहिए।

रावुला वेंकैयाह ने अपने संबोधन में आगे कहा कि इन काले किसान कानूनों को वापस ना लेने के लिए मोदी बहुत अड़े हुए थे वैसे ही जैसे वे नोटबंदी के लिए, वस्तु और सेवा कर लागू करने के लिए, 44 श्रम कानूनों को 4 कानूनों में सीमित करने के लिए, और धारा 370 को निकालने के लिए अड़े हुए थे। इस देश के किसान समुदाय ने डेड़ साल तक बहादुरी से तब तक लड़ाई जारी रखी जब तक कि सरकार ने इन काले कानूनों को वापिस नहीं ले लिया। मोदी ने किसानों के साथ वायदा किया था कि 2022 तक वे किसानों की आय को दोगुना कर देंगे, लेकिन इसका क्या हुआ उन्होंने सवाल उठाया। देश की 65 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन कार्पोरेट हितों की सेवा में मोदी ओवरटाइम काम कर रहे हैं। इसका नतीजा है कि कृषि क्षेत्र संकट में है, किसान कर्जे में फंसे हैं और आत्महत्या कर रहे हैं। संसद में कई बार इस मांग को रखा गया है कि किसी फसल को लगाने में जो लागत लगी है उसमें 50 प्रतिशत पारिश्रमिक-संबंधी मूल्य ;या लाभकारी मूल्यद्ध भी जोड़ा जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने इस मांग को अनसुना कर दिया है।

हमें केरल की सरकार को एक आदर्श सरकार के जैसे देखना चाहिए क्योंकि केवल केरल सरकार अकेली ऐसी सरकार है जिसने किसानों का कर्ज माफ कर दिया और किसानों को कर्ज से मुक्त किया। हालांकि केन्द्रीय और राज्य सरकारें दावा कर रही हैं कि वे किसानों के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं लेकिन वे कुछ नहीं कर रहे हैं। यह सच्चाई है कि तेलंगाना सरकार की रयतहु बंधु स्कीम और आंध्र प्रदेश सरकार की रयतहु भरोसा स्कीम और केन्द्रीय सरकार की किसान सम्मान निधि वास्तव में बड़े किसानों को फायदा पहुंचा रही है लेकिन वे जोतदार किसानों और छोटे किसानों के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं हैं। राज्य और केन्द्रीय सरकारें कहती हैं कि धान किसानों के सामने मौत का संकट है लेकिन केवल बोलने से किसानों का भला नहीं होने वाला है। किसानों को सब्सिडी दामों पर यूरिया, बीज, कीटनाशक और खेती उपकरण उपलब्ध कराने चाहिए।

इंडियन एसोसिएशन आफ लाॅयर्स के राष्ट्रीय महासचिव बोम्मागनी प्रभाकर ने कहा आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में हुआ किसानों का आंदोलन दुनिया में अपने किस्म का बेजोड़ आंदोलन था। किसानों को गौरवमय ऐतिहासिक तेलंगाना सशस्त्र आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए आक्रमक संघर्षों को शुरू करना चाहिए। तेलंगाना में किसानों ने निजाम के शासन में जोतदारी कानून को हासिल कर लिया था। प्रभाकर ने अपनी बात को खत्म करते हुए दोहराया कि मोदी की सरकार को सत्ता से बाहर करने के दिन दूर नहीं हैं।

खम्मम स्थित डीसीसीबी के पूर्व वाइस चेयरमैन भगम हेमंत राव ने अपने संबोधन में कहा कि तेलंगाना राज्य का गठन 1200 लोगों की शहादत के साथ हुआ था लेकिन किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं। किसानों को धारणी पोर्टल के कारण बहुत दिक्कतों का सामना करना पद रहा है। जबकि केसीआर ने इस समस्या को दूर करने का वायदा किया था लेकिन तीन साल से ऊपर उनकी सरकार के होने के बावजूद उन्होंने किसानों का )ण माफ नहीं किया है। हुजूरनगर का क्षेत्र आंदोलनों की जमीन है। और मल्लरेड्डी गुदरून में आंदोलन में 8 लोग शहीद हो गये हैं। इस क्षेत्र में एआईकेएस के नेतृत्व में कई किसान आंदोलन किए गए थे।

आमसभा को एआईकेएस के राज्य और जिला नेताओं के अलावा एनएफआइडब्ल्यू की राज्य अध्यक्ष, भाकपा सूर्य नगर जिला अध्यक्ष और इपटा तेलंगाना राज्य अध्यक्ष ने संबोधित किया।

3 जुलाई को सम्मेलन के प्रतिनिधि सत्र का उद्घाटन कोल्लि नागेश्वर राव प्रांगणं के पस्या राम रेड्डी हाॅल में हुआ। एआईकेएस का ध्वजारोहण तेलंगाना के सशस्त्र आंदोलन के अनुभवी नेता पस्या कन्नामम ने किया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता पस्या पदमा ने की थी।

एआईकेएस राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रतिनिधि सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि किसान संयुक्त आंदोलन से अपनी मांगों को मनवा सकते हैं। केन्द्रीय सरकार को किसानों के लिए )ण अधित्यजन ;वैविंगद्ध कानून लाना चाहिए। केन्द्रीय सरकार को मूल्य नियंत्रण फंड भी स्थापित करना चाहिए। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को अभी तक लागू नहीं किया गया है। नियमित फसल के अभाव में कम फसल होने के कारण किसानों द्वारा आत्महत्या करने पर उन्होंने चिंता व्यक्त की। प्रति दिन 24 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। फसलों के लाभकारी मूल्य ना मिलने के कारण किसान फसल अवकाश घोषित कर रहे हैं। उद्योगों और अन्य परियोजनाओं के निर्माण के कारण देश में खेती की जमीन रोज घटती जा रही है।

एआईकेएस राज्य महासचिव ने संगठन की गतिविधियों की रिपोर्ट और आगामी कार्यक्रम प्रस्ताव पेश किया।

Related Articles

Back to top button