सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करवाने के लिए संघर्ष करेंः बीकेएमयू

विचार—विमर्श

खेत मजदूरों की समस्याओं को लेकर तेलंगाना में बीकेएमयू के नेतृत्व में दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन 29, 30 जून को मेदचल मलकजगिरी जिले के बोडुप्पल में एसएसएस गार्डन स्थित गूँदा मल्लेश हाल में किया गया। कार्यशाला के शुरू होने से पहले एक बड़ा जुलूस निकला गया जो कि अंबेडकर पार्क से शुरू होकर कार्यशाला स्थल तक पहुंचा। वरिष्ठ नेता रक्षा वासुदेव ने बीकेएमयू का ध्वजारोहण किया। बीकेएमयू राज्य महासचिव एन. बालामल्लेश ने कार्यशाला के सभी अथितियों का स्वागत किया। भाकपा राष्ट्रीय परिषद सचिव डा. के. नारायण ने कार्यशाला के भागीदारों का स्वागत किया। कार्यशाला का संचालन बीकेएमयू राज्य अध्यक्ष कलाकोंडा कंथैय्या ने किया। दो दिन तक चली कार्यशाला में भाकपा, बीकेएमयू के राष्ट्रीय और राज्य नेताओं ने खेत मजदूरों की समस्याओं पर भागीदारों के सामने अपनी बात रखी।

भाकपा राज्य परिषद इनचार्ज सचिव पल्ला वेंकट रेड्डी ने कहा कि हमारी आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा कृषि आधारित कामों पर निर्भर है। कई जोतदार किसानों और खेत मजदूरों के पास अपनी खुद की जमीन नहीं है। उनमें से अधिकांश या तो दलित हैं या आदिवासी हैं।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि बीकेएमयू द्वारा चलाए गए आक्रामक संघर्षों के कारण यूपीए -1 सरकार को मनरेगा जैसे कानूनों को लाना पड़ा था, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों को कम से कम 100 दिन के रोजगार के प्रावधान से लाभ मिल रहा है। लेकिन आज भाजपा सरकार इस योजना के लिए पर्याप्त फंड आवंटित नहीं कर रही है।

तेलंगाना राज्य में केसीआर सरकार ने वायदा किया था कि वे दलितों को 3 एकड़ कृषि भूमि देंगे, बेघरों को डबल बेड रूम देंगे, और अपने प्लाट पर घर निर्माण के लिए 5 लाख रुपये देंगे। लेकिन सरकार अपने वायदों को पूरा करने में पूरी तरह से असफल रही है।

उन्होंने कहा कि हालांकि कई लोक लुभावन योजनाएं शुरू की गई हैं लेकिन उनमें से कुछ एक का लाभ ही लोगों तक पहुँच रहा है और इसलिए इन ल्याणकारी योजनाओं को लागू करवाने के लिए सघन संघर्ष करना होगा ताकि हर एक जरुरतमंद को इन योजनाओं का लाभ मिले।

बीकेएमयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य टी. वेंकट रामुलु ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भाजपा के शासन में रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं।

बीकेएमयू राज्य महासचिव बालामल्लेश ने भागीदारों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में मनरेगा के तहत किसी को 100 दिन के काम का प्रावधान है और उन्होंने मांग उठाई कि मनरेगा में काम के दिनों को बढ़ा कर 200 किया जाना चाहिए और प्रतिदिन की दिहाड़ी बढ़ाकर 600 रुपये की जानी चाहिए। उन्होंने सभी लंबित बिलों के अविलंब भुगतान की मांग भी उठाई।

बीकेएमयू के राज्य अध्यक्ष कलाकोंडा कंथैय्या ने अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि जिस तरह से किसानों को रयतहु बंधु ;निवेश समर्थन अनुदानद्ध मिल रहा है उसी तरह से खेत मजदूरों को ‘कूली बंधु’ अनुदान पेंशन के रूप में मिलना चाहिए।
कार्यशाला के दूसरे दिन बीकेएमयू राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व विधायक एन पेरियासामी ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यशाला के भागीदारों को संबोधित किया। उन्होंने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर अभिकथित किया कि वह किसान विरोधी कृषि कानूनों, श्रमिक विरोधी चार श्रम कानूनों को लाने और कल्याणकारी योजनाओं के बजट को काम करने में लगी है।
उन्होंने आगे कहा कि मोदी खेत मजदूरों, किसानों, मजदूरों और अन्य मेहनतकशों की समस्याओं को अनदेखा कर रहे हैं और अधिनायक के जैसे देश को चला रहे हैं। वे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, प्राकृतिक संसाधनों, और यहाँ तक कि राष्ट्रीय परिसंपत्तियों के निजीकरण पर तुले हुए हैं। उद्योग बंद हो रहे हैं, उत्पादन प्रक्रिया लुड़क रही है। वे सभी लाभकर उपक्रमों को बेचने में व्यस्त हैं। वे कृषि क्षेत्र को भी नहीं छोड़ेंगे।

देश के गरीब वर्गों की दयनीय स्थिति को स्पष्ट रूप से देश का भूख और गरीबी सूचकांक दर्शाता है। सत्तारूढ़ भाजपा और राजग के सहयोगी लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, बल्कि सांप्रदायिक जहर फैलाने और तनाव पैदा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसके माध्यम से वह अपना एजेंडा लागू कर रहे हैं। उन्होंने दलितों, जनजातीय लोगों और अल्पसंख्यकों पर हमलों पर भी चिंता व्यक्त की जो कि दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। संवैधानिक अधिकारों, मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। मोदी सरकार किसानों और कृषि श्रमिकों को निशाना बनाने वाली नीतियां अपना रही है।

उन्होंने कहा कि खेत मजदूर तभी जीवित रह सकते हैं जब उन्हें फसल के दौरान काम मिले, अन्यथा वे बेरोजगार और भूखे रहेंगे। उनमें से कई बिना भोजन के सोते हैं। वे असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। हमारे देश के किसानों ने निरंतर संघर्ष शुरू किए हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के 64 प्रतिशत खेत मजदूरों से अपील की, कि वे अपनी मांगों को मनवाने के लिए मजबूत आंदोलन शुरू करें।

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments