आदिवासी की हितों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्ष करती रहेगी कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार (Central government) ने आदिवासियों के जल- जंगल पर अधिकारों को संरक्षित तथा सुरक्षित करने वाले नियमों में कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बदलाव करके अनुसूचित जनजाति के लोगों के हितों को चोट पहुंचाई है लेकिन पार्टी संसद के मानसून सत्र (monsoon session of parliament) में सरकार की इस मनमानी को चुनौती देगी।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) ने यहां जारी एक बयान में कहा कि मोदी सरकार आदिवासी विरोधी (Modi government anti tribal) है और उसने मनमाने ढंग से अनुसूचित जन जाति के लोगों को निजी और सामुदायिक स्तर पर भूमि और आजीविका के अधिकार प्रदान करने वाले नियम बदल कर उनके अधिकारों को खत्म करने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में मोदी सरकार ने इस नियमों में मनमाना बदलाव किया है जिनके तहत केंद्र सरकार द्वारा अंतिम रुप से वन मंजूरी मिलने के बाद वन अधिकारों के निपटारे की अनुमति दी है। इसका मकसद चुनिंदा लोगों के लिए ‘व्यापार को आसान बनाना’ है। यह निर्णय आदिवासी समुदाय के ‘जीवन की सुगमता’ (ease of life) को समाप्त करने वाला है और इसके जरिये वन भूमि के अन्यत्र उपयोग में तेजी लाने के लिए राज्य सरकारों पर केंद्र की ओर से ज्यादा दबाव बनाया जा सकेगा।

श्री रमेश ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 (Forest Conservation Act 1980) को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अनुरूप लागू करना सुनिश्चित करने के संसद द्वारा सौंपे गए उत्तरदायित्व को सरकार ने खत्म करके नए नियमों को संबंधित मंत्रालयों से संबंधी संसद की स्थायी समितियों सहित अन्य संबद्ध हितधारकों से बिना कोई विचार विमर्श (discussion) किए नियम लागू कर दिए हैं लेकिन इन नियमों को संसद के आगामी सत्र में चुनौती दी जाएगी।

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