लंबी लडाई की तैयारी में किसान

विचार—विमर्श

समाज के सभी हिस्सों से मिले समर्थन ने किसानों का उत्साह बढाया

एक लंबी लडाई की तैयारी के लिए किसानों ने अपने ट्रालियों पर लगे टेंटों को वाटरप्रुफ करने के लिए उन पर केनवस की तिरपाल लगा ली हैं। आयोजनकर्ता आंदोलन स्थल पर लगे मंच और उसके सामने के क्षेत्र को वाटरप्रुफ कर रहे हैं। वाटरप्रुफ ढांचे को खडा करने के लिए आंदोलन के वालिन्टियर्स सडकांेपर धातु की राॅड गाड रहे हैं। किसान लंबे संघर्ष की तैयारी कर रहे हैं। उन्हे समाज के प्रत्येक हिस्से से समर्थन और सहयोग मिल रहा है, जिससे किसानों का उत्साह बढा है। मंच के सामने 50 फुट चैडा और 200 फुट लंबा टेंट लगाया गया है जिससे पिछले कईं दिनों से असुविधा का सामना कर रहे किसानेां को वक्ताओं को सुनने वालों को सुविधा रहे। पूरे इंतजाम का निरीक्षण कर रहे एक किसान का कहना है यह सभी कुछ इंतजाम संगत के द्वारा किया जा रहा है। कईं किलोमीटर तक फैले इस आंदोलन स्थल पर मच्छरों और गंदगी को निपटाने के लिए फाॅगिंग भी की जा रही है।

फाॅगिंग मशीने जालंधर के एक किसान द्वारा दान में दी गयी हैं, क्योंकि बरसात के कारण और गंदगी से काफी संख्या में मच्छर पनप गये थे। बारिश होने और सर्दी के बढ जाने के कारण आंदोलनकारी किसानों के बचाव के लिए और कईं तरह के उपाय भी किये जा रहे हैं।
जैसे कि दिल्ली के बार्डर पर टिके हुए किसान लंबी लडाई की तैयारी कर रहे हैं तो उन्हें देश के सभी तबकों से व्यापक समर्थन भी मिल रहा है और ऐसे लोग उन्हें यहां समर्थन देने आ भी रहे हैं। एटक, महिला फेडरेशन, एआईएसएफ, एआईवायएफ और बीकेएमयू के सक्रिय कार्यकर्ता और छात्र एवं नौजवान यहां आंदोलनकारी किसानों को समर्थन देने पहंुच रहे हैं। तेलंगाना से महिला फेडरेशन ;एनएफआईडब्ल्यूद्ध का एक जत्था 6 जनवरी को यहां पहंुच चुका है और महिला फेडरेशन की नेताओं के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों से और भी जत्थे जल्दी ही यहां पहंुचने वाले हैं। जल्दी ही जैसे ही 8 जनवरी की सरकार के साथ मीटिंग के बाद तस्वीर साफ होती है दूसरे जन संगठन भी उसकेे बाद यहां अपने कार्यकर्ताओं को भेजने की तैयारी कर रहे हैं। जो यहीं आंदोलनकारी किसानों के साथ रहेंगे और उनकी लडाई का हिस्सा बनेंगे। एक डाॅक्टर्स की भरी हुई बस यहां पहंुचने और स्वास्थ्य सेवा देने के लिए तैयार है। आईडीपीडी सक्रियता से उनके साथ सहयोग में लगी है।


कडी सुरक्षा के बीच 7 जनवरी को किसानों ने ट्रेक्टर मार्च निकाला। यह ट्रेक्टर मार्च पांच आंदोलन स्थलों से निकाला गया, सिंघु, टीकरी, गाजीपुर, पलवल और शाहजहांपुर। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि यह 26 जनवरी की गणतंत्र दिवस परेड के लिए पूर्वाभ्यास है। 26 जनवरी को वे दिल्ली में दाखिल होंगे और 26 जनवरी की परेड में शामिल होंगे। परेड में शामिल होने के लिए किसान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड सहित कईं अन्य राज्यों से आयेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार इन तीन काले कानूनों को वापस लेने के मूड में दिखाई नहीं पड रही है इसीलिए आंदोलन को और तेज किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसान राजनीतिक दलों को अपने मंच का इस्तेमाल नहीं करने देंगे। प्रधानमंत्री का यह कहना कि हम गुमराह हो रहे यह एक कोरा झूठ है। हमारा आंदोलन राजनीतिक नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री ने सत्ता में आने से पहले अपनी रैलियों में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए कहा था, परंतु कोर्ट में उन्होंने उससे उल्टा हलफनामा दाखिल किया और कहा कि एमएसपी देना संभव नहीं है। कोई भी समझ सकता है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी क्यों जरूरी है। उन्होंने हमसे कई बार सुझाव मांगे हमारी मांगे मानी परंतु उनकी तरफ से अभी तक कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया गया है।


किसान आंदोलन अब एक जनान्दोलन बन चुका है और अब यह पूरे देश और उससे भी आगे फैल रहा है। वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं, बच्चे और नौजवान, सभी बहादुरी से संघर्ष में शामिल हैं और अपनी जमीन बचाने के लिए तीनों काले कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। हाल ही के घटनाक्रमों से साफ है कि किसान केवल कोर्ट के फैसले पर ही निर्भर नहीं हैं। इसकी संभावना नहीं है कि कोई फैसला उनके पक्ष में आयेगा।

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