भाकपा के स्थापना दिवस के देशव्यापी आयोजन
विजयवाडाः भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आन्ध्र प्रदेश ने 26 दिसंबर 2020 को पार्टी की स्थापना के 95 साल पूरे होने पर 95वीं वर्षगांठ मनायी। इस अवसर पर भाकपा राज्य सचिव के रामकृष्णा ने पार्टी के राज्य मुख्यालय दासरी भवन विजयवाडा में ध्वजारोहण किया और इस अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह संघर्षो की महागाथा है। किसान का अखिल भारतीय संघर्ष और आन्ध्र प्रदेश में राजधानी अमरावती के लिए संघर्ष ऐतिहासिक है। ऐसे आंदोलनों में लोग बगैर किसी राजनीतिक पहल के स्वयं ही भाग ले रहे हैं। रामाकृष्णा ने अपील करते हुए कहा कि भाकपा के भी सभी हिस्सों को इन आंदोलनों में भाग लेना चाहिए। बैठक की अध्यक्षता विजयवाडा के भाकपा शहर सचिव डी शंकर ने की। बैठक को भाकपा राज्य सचिवमंडल सदस्यों जल्ली विल्सन, आर वैंकेया ए वनजा ने संबोधित किया। एटक के अध्यक्ष रविन्द्रनाथ, महिला फेडरेशन की राज्य महासचिव दुर्गा भवानी, भाकपा के नेता कोटेश्वर राव ने भी संबोधित किया।
रामाकृष्णा ने आगे कहा कि भाकपा ही एक ऐसी अकेली पार्टी है जो पिछले 95 सालों से जनता के सवालों के लिए लड रही है। हालांकि पार्टी में विभाजन हो गया परंतु संघर्ष कभी रूका नहीं। कईं सालों के लिए विधानमंडलों में हमारा प्रतिनिधित्व नहीं था परंतु हमारा संघर्ष जारी रहा। भाकपा एक अकेली ऐसी पार्टी है जिस पर पूरे संसदीय इतिहास में कभी भी भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं रहा है। परंतु अन्य पार्टियों ने एक और उससे अधिक बार ऐसे आरोपों का सामना किया है। जब तक मेहनतकश जनता है लाल झण्डा वहां रहेगा।
उन्होंने यह भी कहा है कि या तो कृषि कानूनों को वापस लेने का किसानों का संघर्ष और अमरावती को राजधानी बनाने का संघर्ष ऐतिहासिक है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने किसी एक किसान संगठन के साथ इन अधिनियमों के बारे में चर्चा की है? विपक्ष ने इन विधेयकों को मंजूरी देने से पहले मतदान कराने की मांग की है। सरकार ने अनसुना कर दिया। मोदी सरकार को इन बिलों को वापस लेना चाहिए। राज्य सरकार को भी तीन राजधानियों के प्रस्ताव को वापस लेना चाहिए।
पूर्व विधान परिषद सदस्य जल्ली विल्सन ने अपने संबोधन में कहा कि भाकपा ने भूमि सुधारों के लिए, प्रीवी पर्स को खत्म करने, भाषा आधारित राज्यों की स्थापना के लिए और अनेकों कल्याण योजनाओं के लिए संघर्ष किया है। कईं ने भाकपा की कल्याण योजनाओं के लिए आलोचना की है। भाकपा दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लडती रही है।
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आर वैंकेया, ने अपने भाषण में कहा कि इस राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन को दुनिया के हरेक कोने से समर्थन हासिल हो रहा है। आजादी के बाद यह सबसे बडा आंदोलन है। यह आंदोलन 50 संगठनों के साथ शुरू हुआ था जिसमें अब 500 संगठन शामिल हो चुके हैं। हालांकि अभी मोदी सरकार को कृषि कानून वापस लेने हैं।
इप्टा के राज्य महासचिव चन्द्रनायक और आर पिचैये के क्रान्तिकारी गीतों ने दर्शकों को उत्साहित किया।