नही किसी के आसरे
नारी सशक्त है, संपूर्ण है,
नही किसी के आसरे ।
समर्पित करती जीवन अपना,
हर किसी के वास्ते।
फिर क्यों?अलग हैं
स्त्री-पुरूष के रास्ते ।
स्वामित्व स्थापित कर नारी पर,
सोच को हैं अपनी थोपते ।
चरित्रहीन स्वयं होकर के ,
चरित्रता का प्रमाण हैं जांचते ।
कब बदलोगे कुठ़ित सोच को अपनी,
क्यों नही अब भी ज़मीर से अपने हो जागते ।
रश्मि वत्स
मेरठ (उत्तर प्रदेश)