दो मोती अश्रु के

नयन पटल पर मोती बनकर जब आते अश्रु के बूंद।
हृदय पटल को छू कर जाते अश्रु के तव वो बूंद ।।

अश्रु तेरे रंग नहीं पर दिखाते अपने अलग-अलग रंग ।
कभी अवसाद तो कभी खुशी के दिखाते अपने अलग-अलग रंग ।।

ओस बूंद सा रूप सलोना पर तेरे अंदर बहुत ही दर्द ।
मानव मन का दर्द समेटे निकलते रहते नैनों से अश्क ।।

नयन नीर बन नैन पटल पर जब आते नयनों पर अश्क । हृदय वेध पीड़ा देकर जाते हैं नयनों के बहते अश्क ।।

मानस मन के हृदय तल पर जब फफोला बन आते अश्क। पश्चाताप के रूप निकलते मानव के नयनों से अश्क ।।

अश्क बताता मानव मन की वेदना सहित उल्लास को ।
कभी गम के अश्रु धार बन या फिर बताता उसके उल्लास को ।।

जीत के जब दो मोती नैन पटल पर छाते हैं ।
मानव मन को अंदर तक हर्षित ही करके जाते हैं ।।

हार निराशा हाथ लिए जब आते हैं नैनों में अश्क ।
मानव मन को अंदर तक झकझोर देता है वह नैनों के अश्क ।।

बिरह बनकर जब छाता है नयनों में आंशु के बूंद ।
मुक और पथरीली होकर नैनों में रहते हैं वह अंशु के बूंद ।।

जिगर फफोला बनकर जब उभरते मोती से अश्रु के बूंद । अपनी करनी का एहसास कराता फफोला बनकर वह अश्रु के बूंद ।।

जब मिलता विछोह का विछड़न तब आते नैनों में अश्रु के धार ।
प्रियतम से मिलने की चाहत सताती रहती बार-बार ।।

यह एक अच्छा साधन है मन की पीड़ा को कम करने का । अच्छे बुरे और समय समय पर अश्रु धारा बहाने का ।।

जीवन पथ पर चलते रहना सतत और एकाग्र चित्त ।
अश्क की बूंदे मिलते रहेंगे कम करने ह्रदय की पीड़ ।।

हृदय शूल तो लगते रहेंगे जब तक रहेगा जीवन का साथ । जीवठता दिखला कर मानव लगाना अपने नौका को पार ।।

रंगहीन इस अश्रु का मानव जीवन में बड़ा महत्व ।
अपनों को अपनों से जोड़ने में इसका है बड़ा महत्व ।।

जीवन आनी और जानी है समाज को चलाना है ।
अश्रु के इस अलग-अलग रूप से जीवन सरल बनाना है ।।

श्री कमलेश झा
राजधानी दिल्ली

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