त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में लोकतन्त्र के चीरहरण पर गहरी चिन्ता जताई:डा॰ गिरीश

सवाल किया कि-जब सेमी फायनल इतना हिंसक है तो फायनल कैसा होगा

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि तीन दिनों तक चले हिंसक तांडव के बाद आखिर उत्तर प्रदेश में भाजपा ने ब्लाक प्रमुख के अधिकतम पदों पर कब्जा जमा लिया। कमरतोड़ महंगाई, कोरोना के झपट्टे से लोगों के जीवन बचाने में मुजरिमाना असफलता, अर्थव्यवस्था में महा गिरावट, बेरोजगारी और भुखमरी से पीड़ित उत्तर प्रदेश के आम मतदाताओं ने जिला पंचायत और बीड़ीसी सदस्यों के लिये हुये सीधे चुनावों में जिस भाजपा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था, भाजपा और उसकी सरकार ने मध्यकालीन बर्बरता के बल पर चुने लोगों के वोटों को हड़प जिला पंचायतों और ब्लाक कमेटियों में कब्जा जमा लिया।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि लोकतन्त्र की इस जघन्य हत्या को भाजपा और स्वयं मुख्यमंत्री जी 2022 का सेमी फायनल बता रहे हैं। देश भर में और उत्तर प्रदेश की जनता में इस बात पर गहरी बेचैनी और चिंता जताई जा रही है कि यदि सेमी फायनल ऐसा है तो उत्तर प्रदेश का आम चुनाव कैसा होगा? निश्चय ही बड़ी हिंसा की संभावनायेँ बन गयी हैं।

पहले जिला पंचायत अध्यक्ष चुनावों और अब ब्लाक प्रमुख चुनावों में जिस तरह खुली हिंसा, गोली बारी, महिला प्रतिनिधियों का चीर हरण, प्रतिनिधियों का अपहरण, हत्या, नामांकनों से रोकना और नामांकनों का जबरिया रद्दीकरण किए जा रहे थे, उससे नतीजों का आना तो औपचारिकता मात्र था। नतीजों से साबित होगया है कि ये जनता की जिला पंचायत अथवा ब्लाक कमेटियां नहीं रह गयीं अपितु विकास के धन को हड़पने और आगामी विधान सभा चुनावों में भी सत्ता हथियाने को भाजपा ने अपने शक्तिपीठ स्थापित कर दिये गए हैं।

लोकतन्त्र के इस चीर हरण के लिये निर्वाचन आयोग, प्रशासन, पुलिस और भाजपा की दंगा ब्रिगेड सभी बराबर के भागीदार हैं। चुनाव आयोग मूक दर्शक बना रहा, अफसरशाही ऊपरी आदेशों के पालन में जुटी रही और गुंडों दबंगों की फौज कानून और सामाजिक मर्यादाओं को रौंदती रही। कई जगह तो पुलिस प्रशासन के अधिकारी भगवा ब्रिगेड के सामने गिड़गिड़ाते नजर आये।

भाकपा ने कहाकि उसने पहले ही आशंका जता दी थी कि भाजपा और संघ में दिल्ली से लखनऊ तक जो भारी भरकम बैठकों का दौर चल रहा है और कोविड की आड़ में मुख्यमंत्री जी प्रदेश के दौरे कर रहे हैं वह सब इन चुनावों में सत्ताहड़प के लिये गोटें बिछाने के उद्देश्य था। दोनों नतीजों से ये जगजाहिर होगया है।

भाकपा ने कहा कि गत सरकारों ने भी पंचायती लोकतन्त्र को कम क्षति नहीं पहुंचाई, पर भाजपा ने इसे पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया है। उत्तर प्रदेश के समूचे विपक्ष को लोकतन्त्र के इस चीरहरण के खिलाफ मिल कर आवाज उठानी चाहिये। सर्वोच्च न्यायालय से स्वतः संज्ञान लेकर जांच कराने का आग्रह करना चाहिये। निर्वाचन आयोग और पुलिस प्रशासन के जिम्मेदार लोगों की ज़िम्मेदारी सुनिश्चित कर उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।

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