कोविड-19 के एक गंभीर मामले में 49 वर्षीय व्यक्ति के फेफड़ों की आर्टरीज़ में हुए क्लाॅट
नई दिल्लीः नोएडा के 49 वर्षीय एक निवासी को पोस्ट कोविड पल्मोनरी जटिलताएं हो गईं, उनके फेफड़ों की आर्टरीज़ में क्लाॅट बन गए थे (बाईलेटरल एम्बोलिज़्म)। नवम्बर में उन्हें कोविड-19 हुआ था, जिसके बाद नोएडा के एक अस्पताल में उनका इलाज करवाया गया। उन्हें कई अन्य बीमारियां भी थीं जैसे डायबिटीज़, अस्थमा और हाइपरटेंशन। वे कोविड-19 की सबसे गंभीर स्थिति ‘सायटोकाईन स्ट्रोर्म में पहुंच गए थे और 3 सप्ताह पर उन्हें आईसीयू में आॅक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया।
कोविड-19 के लिए नेगेटिव आने के बाद भी उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी, उन्हें लगातार आॅक्सीजन सपोर्ट की ज़रूरत थी। आॅक्सीजन सपोर्ट के बिना सांस लेने में परेशानी हो रही थी। वे आॅक्सीजन के बिना अपने रोज़मर्रा के काम जैसे खाना तक भी नहीं कर पा रहे थे। 11 दिसम्बर 2020 को उन्हें इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल भेजा गया, जहां डाॅ विनय कंटरू, कन्सलटेन्ट, रेस्पीरेटरी, क्रिटिकल केयर एण्ड स्लीप मेडिसिन की देखभाल में रखा गया।
जब उन्हें अपोलो लाया गया, उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी, छाती में ज़बरदस्त इन्फेक्शन था और आॅक्सीजन लैवल भी कम था। नाॅन-कोविड आईसीयू (क्योंकि वे कोविड नेगेटिव हो चुके थे) में स्टेबल करने के बाद उनका सीटीपीए स्कैन (कम्प्यूटेड टोमोग्राफी पल्मोनरी एंजियोग्राफी) किया गया। जिसमें पता चला कि उन्हें बाईलेटरल पल्मोनरी एम्बोलिज़्म हो गया है, इसके कारण न केवल उनके फेफड़ों बल्कि दिल पर भी असर होने लगा था। उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी और इलाज में ज़रा सी भी देरी उनके लिए जानलेवा हो सकती थी।
डाॅ विनय कंटरू, कन्सलटेन्ट, रेस्पीरेटरी, क्रिटिकल केयर एण्ड स्लीप मेडिसिन, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स ने कहा, ‘‘कोविड के 30 फीसदी से अधिक मामलों में, इन्टेन्सिव केयर सपोर्ट की ज़रूरत होती है। खासतौर पर 45-75 साल की उम्र में जटिलताएं ज़्यादा बढ़ सकती हैं, जिससे मरीज़ के अन्य टिश्यूज़ एवं अंगों को नुकसान पहुंच सकता है और उसे पल्मोनरी एम्बोलिज़्म हो सकता है। यह स्थिति जानलेवा होती है क्योंकि मरीज़ को तुरंत इलाज की ज़रूरत होती है।
इस मरीज़ का मामला विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उनका आॅक्सीजन स्तर गिरता जा रहा था और बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी बढ़ रहा था। सीटीपीए करने से पता चला कि उनके फेफड़ों की आर्टरीज़ में क्लाॅट हो गए हैं जिसके कारण उनके दिल पर भी असर पड़ने लगा है। फंगल निमोनिया के कारण उनके फेफड़ों में कैविटीज़ हो गई थी। हमने तुरंत उन्हें ब्लड थिनर दिए, एंटी-फंगल उपचार शुरू किया। आक्सीजन सैचुरेशन में सुधार होने के बाद धीरे धीरे रेस्पीरेटरी सपोर्ट की ज़रूरत खत्म हो गई, इसके बाद उन्हें रेस्पीरेटरी रीहेबिलिटेशन (चेस्ट, लिम्बफिज़ियोथेरेपी, न्यूट्रिशनल और साइकोलोजिकल सपोर्ट) पर रखा गया। जल्द ही उन्हें आईसीयू से बाहर शिफ्ट कर दिया गया, 2 माह तक बीमारी से जूझने और तकरीबन एक माह के इलाज और रीहेबिलिटेशन के बाद 6 जनवरी 2021 को उन्हें छुट्टी दे दी गई।