किसान आंदोलन के समर्थन में मैदान में उतरी महिलाएं

बंगलौर में नए काले कृषि कानूनों के बहिष्कार में अब विविध महिला संगठन भी आगे आ गई है। काले कृषि कानूनों के बहिष्कार में हो रहे आंदोलन में भाजपा सरकार के विरूध हजारों महिला 22 दिसंबर 2020 को पूरा दिन मौर्य सर्कल, बंगलौर में धरना पर बैठ कर किसान आंदोलन में एकजुटता का आवाज उठाई।


आज देश में केन्द्र सरकार से मुकाबला करने केवल दिल्ली, पंजाब, हरियाणा के किसान मात्र नहीं बल्कि कर्नाटक के हर घर-घर में बैठी हर एक महिलाएं भी उनके साथ हैं और ये आंदोलन तब तक जारी रहेगी जब तक सरकार अपना कृषि कानूनों को बदल नहीं देते। क्योंकि आज ये लड़ाई सिर्फ किसान की नहीं है। किसान तो मात्र फसल उपजाते है उस अन्न से तो पेट हम लोग का भरता है।
इस नए काले कानून के तहत आवश्यक वस्तु अधिनियम में अनाज, धान, गेहूं, दलहन, तरकारी, फल-फूल आदि हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर निकाल कर न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दर पर करने की चेष्टा में है। इसके तहत हमारे एपीएमसी मार्केट भी बंद होने के लिए है। ये सरकार कृषि व्यवस्था को कारपोरेट व्यवस्था में बदलने के लिए अग्रसर है। इस नऐ कानून के तहत हमारी रोटी छिन कर कारपोरेट कंपनियों के नाम अनुबंध नहीं होने देंगे।


दिल्ली में 26 नवंबर से 3 से 4 डिग्री तापमान ठंड में बैठे किसानों को हम बताना चाहते हैं कि ये आंदोलन उनका मात्र नहीं बल्कि ये लड़ाई मारी है और तब तक चलेगी जब तक कानून वापस नहीं ली जाती है। दिल्ली में 41 किसान शहीद हो चुके है। उनकी कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
वन-नेशन, वन मार्केट का नारा देने वाले भाजपा सरकार को पता होना चाहिए कि ये अब उनकी मन की बात चलने वाली नहीं है बल्कि अब देशवासियों की मन की बात चलेगी।
वन किसान-वन आवाज हम एक हैं-इस धारणा में भारतीय महिला फेडरेशन से बंगलौर जिला संयोजिका दिव्या विरादर, जनवादी महिला संगठन राज्य उपाध्यक्ष के एस विमला, एसयूसीआई महिला संगठन से शोभा, सीपीआई (माले) से मल्लिगे इत्यादि ने सभा को संबोधित किये। सभा का उद्घाटन जानी-मानी विख्यात लेखिका डा वसुंधरा भूपति के कर-कमालें द्वारा सम्पन्न किया गया। एनएफआईडब्लू से वरिष्ठ नेता वीणा हरिगोविन्द, लक्ष्मी, नागवेणी, ज्योति, मंजुला, जयम्मा आदि के नेतृत्व में सभा सम्पन्न हुआ।

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