किसानों का आंदोलन “पेट और कारपोरेट” के बीच: अतुल कुमार अनजान

— 13-14 जनवरी को लोहड़ी संक्रांति पर किसानों का राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस का आयोजन।
— “त्यौहार मनाओ-कृषि कानून जलाओ”, 18 जनवरी किसानों के समर्थन में “महिला अभियान” सफल बनाओ, नेताजी सुभाष बोस जन्मदिन पर “एकता मजबूत करेंगे-अपने अधिकार पाएंगे” दिवस।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ, सभी कृषि उत्पाद को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करने एवं से कानूनी गारंटी देने, डॉक्टर स्वामीनाथन कमीशन सिफारिशों को लागू करने तथा किसानों के सहकारी, सरकारी कर्जे को माफ करने के लिए 25 नवंबर 2020 से चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन अभियान एकजुट होकर जारी है l इस आंदोलन में अब तक 65 से अधिक किसानों ने अपनी शहादत दी है।
सरकार द्वारा प्रायोजित आठ दौर की वार्ता सरकारी टालमटोल और बिना किसी सरकारी दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में टलती रही है। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार “अनजान” एवं राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष भूपेंद्र सांभर ने एक संयुक्त वक्तव्य मैं वार्ता के असफल होने की पूरी जिम्मेदारी सरकार पर डालते हुए कहा के केंद्रीय कृषि मंत्री, रेल मंत्री एवं गृह मंत्री ने अब तक की वार्ताओं में 3 कानूनों के संबंध में एवं एमएसपी को कानूनी दर्जा दिए जाने और सभी कृषि उत्पाद की खरीद पर कोई मंशा सरकार की तरफ से नहीं दी। दोनों किसान नेताओं ने सरकार पर किसानों की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने और उन्हें आंदोलन पर मजबूर करने के लिए जिम्मेदार ठहराया। किसानों की आय दुगनी नहीं हुई बल्कि किसानों की आय कृषि लागत दर के बढ़ते रहने के कारण घटती चली जा रही है। “एक देश-एक बाजार” मात्र एक नारा है बल्कि वास्तविकता में “सब की लूट -कॉर्पोरेट को छूट” की नीति चल रही है। यह देश के अन्नदाता की तरफ से एक लड़ाई है जो वास्तविकता में “पेट और कारपोरेट” के रूप में बदल गई है। अखिल भारतीय किसान सभा के नेताओं ने आगे कहा कि किसानों का यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी है। एक तरफ दिल्ली में लाखों किसान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कड़ाके की ठंडक में बैठकर अपना प्रतिरोध व्यक्त कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर लाखों किसान उनके समर्थन में देश के विभिन्न राज्यों में आंदोलनरत है। देश के 136 जिलों में किसानों के लगातार क्रमिक अनशन चल रहे हैं। आगामी 13 और 14 जनवरी को लोहड़ी और संक्रांति के अवसर पर गांव से लेकर शहरों तक देश के किसान 3 केंद्रीय कृषि कानूनों को जलाएंगे। 18 जनवरी को देश की महिलाओं के किसानों के समर्थन में उतरने के अभियान को समर्थन देंगे। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष बोस के जन्मदिन पर किसान “एकता रखेंगे-अधिकार लेंगे”। दिवस के रूप में देशभर में मनाएंगे। किसान सभा नेताओं ने उक्त कार्यक्रम को शांतिपूर्वक चलाए जाने की अपील के साथ केंद्र सरकार से तत्काल “राज हठ” समाप्त कर केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है।

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