#ModiTearyTribute
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विचार-विमर्श
थक चुकी हैं हाथों की अंगुलियाँ…
अब थक चुकी हैं, हाथों की अंगुलियाँ,रोज लिखते लिखते विनम्र श्रद्धांजलि।आखिर! अब कितना तू निर्मम बनेगा,अपनों की प्रतिदिन हो रही…
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अब थक चुकी हैं, हाथों की अंगुलियाँ,रोज लिखते लिखते विनम्र श्रद्धांजलि।आखिर! अब कितना तू निर्मम बनेगा,अपनों की प्रतिदिन हो रही…
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