आज़ादी का अमृत महोत्सव पर  हर घर तिरंगा अभियान

विचार—विमर्श

सुसंस्कृति परिहार

पिछली 22 जुलाई को देश में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आजादी के 75 वें साल पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के दौरान लोगों को तिरंगा घर लाने और इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए “हर घर तिरंगा” अभियान शुरू किया है।इतिहास के पलों को याद करते हुए उन्होंने एक ट्वीट भी किया जिसमें तिरंगे से जुड़ी समिति की डिटेल शेयर करने के साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा फहराए गए पहले तिरंगे की तस्वीर भी शेयर की है।  इस दौरान पीएम मोदी ने लिखा कि ’22 जुलाई का हमारे इतिहास में विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन 1947 में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया था।’

हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा देशवासियों को प्राणों की तरह प्यारा है।इस ख़बर से चारों तरफ हर्ष व्याप्त है किंतु लोगों के मन में एक सवाल जो पहले भी उठाया जा चुका है कि इस तरह हर घर तिरंगा फहराने को लेकर कहीं लोग बबाल ना करे और आज़ादी का यह पर्व कहीं फीका ना हो जाए। हर घर तिरंगा फहराने में ज़ोर जबरदस्ती सब मज़ा किरकिरा कर सकती है।बेहतर हो  लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जाए।अभी भी भारत के दूरदराज के बहुत से ऐसे गांव हैं जो तिरंगे झंडे को नहीं जानते पहचानते हैं। 

उधर संस्कृति मंत्रालय का उद्देश्य “हर घर तिरंगा” अभियान के तहत  13-15 अगस्त तक पूरे देश में झंडा फहराना है इसके साथ ही देशभर में झंडों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार कई कदम उठा रही है. जिसके तहत देश के सभी डाकघर 1 अगस्त, 2022 से झंडे बेचना शुरू कर देंगे।

लेकिन चिंताजनक यह है कि पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने जम्मू और कश्मीर प्रशासन पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के लिए लोगों पर तिरंगा खरीदने का दबाव डालने का आरोप लगाया है।महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि देशभक्ति अंदर से आती है. यह थोपी नहीं जा सकती।ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए मुफ्ती ने कहा है, ”दक्षिण अनंतनाग जिले के बिजबेहड़ा निगम के एक वाहन से लगे लाउडस्पीकर से यह एलान किया जा रहा है कि इस इलाके का हर दुकानदार हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगा खरीदने के लिए 20 रुपये जमा करे।उन्होंने कहा, ”जम्मू और कश्मीर हर घर तिरंगा अभियान के लिए जिस तरह से छात्रों, दुकानदारों और कर्मचारियों को पैसे देने के लिए बाध्य किया जा रहा है। ऐसा जताया जा रहा है कि कश्मीर भारत के दुश्मन का इलाका है और यहां कब्जा किया जा रहा है. देशभक्ति अंदर से आती है थोपी जाती नहीं है।

महबूबा एक हद तक सही कह रही है। संस्कृति मंत्रालय जब  एक अगस्त से झंडा 20₹के हिसाब से बेचने की बात कह रहा है तो कश्मीर में यह उतावलापन क्यों? कश्मीरी लोगों पर शक क्यों? पहले ही कहा जा चुका है जबरदस्ती ठीक और उचित नहीं।दूसरे झंडे की कीमत पांच रुपए से बढ़ाकर बीस कर दी गई है।क्या भारत सरकार ने किसी कारपोरेट को भी इसका ठेका दे रखा है? झंडे पोस्ट आफिस से मिलेंगे। वहां लेने कौन जायेगा।क्या अब बाजार में हर साल की तरह बिकने वाले झंडे नहीं मिलेंगे। जिन्हें बच्चे खरीदकर घर घर पहुंचाते रहे हैं। साईकिल से लेकर हर वाहन पर तिरंगा नज़र आता रहा।क्या उसे घर पर ही फहराना है।जो किराएदार हैं या जिनके घर नहीं हैं उनके लिए कोई छूट मिलेगी। जिनके पास झंडा खरीदने पैसे नहीं हैं। उन्हें  बख़्शा जाए।सच है देशप्रेम दो तीन दिन झंडा लगाने से नहीं जन्मता।

बहरहाल,हर घर झंडा फहरे यही तमन्ना है किन्तु एक बात का ध्यान रखें इसका सम्मान बरकरार रखें।कचरे की गाड़ी में कलाम,मोदी,योगी के फोटो ले जाने वाले को याद कर लें। उसके साथ क्या हुआ।तिरंगा तो भारत देश की आन बान और शान है। जिसके लिए हज़ारों हजार शहीद हुए हैं।उनको याद करें।उसे फेंके नहींं। उम्मीद है देश के कोने-कोने में यह संदेश को ज़रुर पहुंचेगा। संस्कृति मंत्रालय को भी तिरंगे के सम्मान सम्बंधी जानकारी देनी चाहिए।

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