एमजीएम हेल्थकेयर की हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट टीम ने अभूतपूर्व मिसाल कायम की: जीवन बचाने वाली सर्जरी को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया

नई दिल्ली। एमजीएम हेल्थकेयर के इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट ने भारत में 600 हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट सर्जरी किए हैं। इस टीम पर वयस्क और बाल रोगियों के लिए भारत की सबसे बड़ी हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट कार्यक्रम की देखरेख की जिम्मेदारी है। एमजीएम हेल्थकेयर में ट्रांसप्लांट करवा चुके दिल्ली के मरीजों ने अपने अनुभव साझा किए और विशेषज्ञों की टीम के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

एमजीएम हेल्थकेयर को यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि हमने दिल्ली के पचास से अधिक रोगियों का सफलतापूर्वक हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट किया है। उन सभी की हालत बहुत ही खराब थी और उनका ह्रदय या फेफड़ा काम नहीं कर रहा था जिसके कारण चिकित्सा उपचार का कोई असर नहीं हो रहा था और समय पर ट्रांसप्लांट सर्जरी करके उनकी जान बचाई गई थी।

एक मृतक डोनर आठ लोगों की जान बचा सकता है और अंग दान प्राप्तकर्ताओं (ऑर्गन रेसिपिएंट) और चिकित्सा टीम के इस जनसमूह का उद्देश्य अंग दान के बारे में जागरूकता बढ़ाना और दूर-दूर तक इसका प्रसार करना है। एमजीएम हेल्थकेयर सामाजिक परिवर्तन लाना चाहता है और एक ऐसी संस्कृति बनाना चाहता है जहाँ अंग दान को आमतौर पर स्वीकार किया जाए और कई लोगों की जान बचाई जा सके।

जम्मू का एक 6 वर्षीय लड़का भी उपस्थित था जिसका एमजीएम हेल्थकेयर में सफलतापूर्वक हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ था और उसके परिवार ने कार्यक्रम के दौरान अपने अनुभव साझा किए। उसे पिछले साल एमजीएम हेल्थकेयर लाया गया था तब उसे कार्डियोमायोपैथी और शरीर में सूजन की शिकायत थी। मरीज को तीन सप्ताह के इंतजार के बाद डोनर हार्ट मिल गया और सफलतापूर्वक हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। उसने कुछ हफ़्ते में ही अपनी सामान्य दिनचर्या फिर से शुरू कर दी।

दिल्ली की एक 55 वर्षीय महिला को इंटरस्टिसियल लंग डिजीज (आईएलडी) होने का पता चला था। एमजीएम के डॉक्टरों ने उनके स्वास्थ्य का आंकलन किया और उन्हें ट्रांसप्लांट प्रतीक्षा सूची में रखा गया। ट्रांसप्लांट के बाद रोगी के हेमोडायनामिक्स में लगातार सुधार हुआ और ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब निकाल दिया गया, जिससे वे परिवेशी तापमान पर ठीक से सांस ले सकीं। रोगी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और अब वे सामान्य जीवन जी रही हैं।

इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट, एमजीएम हेल्थकेयर के निदेशक, कार्डियक साइंसेज के अध्यक्ष डॉ. के.आर. बालाकृष्णन ने कहा, “हालांकि ट्रांसप्लांट के लिए पर्याप्त अंग उपलब्ध हैं लेकिन अंग दान की जागरूकता के अभाव के कारण ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा सूची लंबी होती है। दान किए गए अंगों की उपलब्धता के मामले में भारत अन्य देशों से पीछे है। अंग दान के बारे में जागरूकता की कमी इसका एक प्राथमिक कारण है।“

लंग ट्रांसप्लांट एंड इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी विभाग के क्लिनिकल डायरेक्टर और कंसल्टेंट डॉ. अपार जिंदल ने कहा, “उन लोगों को लंग ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दी जाती है जो एंड स्टेज लंग डिजीज से जूझ रहे हैं। एंड स्टेज लंग डिजीज को एक ऐसी बीमारी के रूप में परिभाषित किया गया है जो ऐसी अवस्था तक बढ़ चुकी है जहां फेफड़ों की क्रिया पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। अधिकांश रोगियों को फेफड़े की कोई विशिष्ट बीमारी होने का पता पहले ही चल जाता है और फिर धीरे-धीरे यह बीमारी बढ़कर एंड स्टेज तक पहुँच जाती है। नतीजतन, एंड स्टेज लंग डिजीज वाले किसी भी व्यक्ति को लंग ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है। प्रत्येक रोगी के लिए क्षेत्र के उपयुक्त अधिकारियों से परामर्श करना और आवश्यक उपचार प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। इसलिए, हम बीस अलग-अलग शहरों में नियमित रूप से अपना लंग क्लीनिक चलाते हैं ताकि हम अपने रोगियों से मिल सकें और उनकी समस्याओं का समाधान कर सकें।“

एमजीएम हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट के सह-निदेशक डॉ. सुरेश राव के अनुसार, “जिन रोगियों का ह्रदय और फेफड़ा पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है उन्हें मृत्यु का जोखिम बहुत अधिक होता है और समय पर हार्ट ट्रांसप्लांट और लंग ट्रांसप्लांट करके उनकी जान बचाई जा सकती है। बहुत ही बीमार रोगियों में ईसीएमओ और एलवीएडी जैसे यांत्रिक परिसंचरण सहायता उपकरणों की मदद से ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।“

इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट, एमजीएम हेल्थकेयर के सीनियर कंसल्टेंट और एसोसिएट क्लिनिकल लीड डॉ. आर.रवि कुमार के अनुसार, “राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (एनओटीपी) ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। हर साल 200 से अधिक हृदय रोगियों को इस तकनीक के माध्यम से एक स्वस्थ हृदय मिलता है जिससे उनकी जान बचाई जाती है और उन्हें काम पर लौटने और खुशी-खुशी जीवन जीने का मौका मिल पाता है। भारत में ऐसे कई रोगी हैं जिन्हें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य राय और सलाह की आवश्यकता है, इसलिए हम एक टीम के तौर पर देश के अधिकांश प्रमुख स्थानों पर बारम्बार जाकर लोगों से मिलते हैं ताकि उन्हें सीधे तौर पर हमारी विशेषज्ञता का लाभ मिल सके।”

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