9वें ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ़ जर्नलिज्म की शुरुआत

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नई दिल्लीः कोरोना काल में वैसे तो सभी लोगो ने अपनी सशक्त भूमिका निभाई है और देश के लोगों ने दिखा भी दिया की वो एक दूसरे से किस तरह जुड़े हुए है, खासकर मज़दूरों की मदद करना हो या डॉक्टर को प्रोत्साहित करना हो या एक दूसरे के घर में खाना भी पहुंचना हो यह सब बातें हमे देखने को नहीं मिलती अगर मीडिया इन परेशानियों व मदद को नहीं दिखाती।

कोरोना काल ने हमे संगठित होना तो सिखाया और इस संगठन को दिखाने के लिए जर्नलिस्म ने बहुत अहम भूमिका निभाई, क्योंकि जर्नलिस्ट का कोई धर्म नहीं होता वो बस अपनी कलम का सिपाही होता है, वह आईना होता है जो सच्चाई को अपनी दूरदर्शिता से पहचान जाता है यह कहना था 9वें ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ़ जर्नलिज्म में एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह का, उन्होंने आगे कहा की पत्रकारिता का अर्थ है सच्चाई को सामने लाना चाहे वो किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुडी हो, फिल्मों से या आम इंसान की परेशानियों से।

इस वेबिनार में कई जानी मानी हस्तियों ने भाग लिया जिसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल के. एम. सेठ, पलेस्टाइन एम्बेसी के मीडिया एडवाइजर एबेद एलराजे अबु जजेर, लिसोथो की हाई कमिश्नर लीनो मॉलिस माबूसेला, जर्नलिस्ट के. जी. सुरेश, शोभित यूनिवर्सिटी के चांसलर कुंवर शेखर विजेंद्र, ईरान एम्बेसी के कल्चरल कॉउन्सिल मोहम्मद अली रब्बानी और मोबाइल एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन भूपेश रसीन शामिल हुए।

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