सर्द

मृदुल कलरव से,
गुंजित मन
मधुप का द्वार,,,।
दिव्य अलौकिक,
श्रद्धा प्रेम का,
मधु,,,खुला रखे ,
हृदय द्वार,,,,,,,,,।
ख्वाइशें चली,
लिए आशा के पंख,,
खुला सफ़र का,
उन्मुक्त द्वार,,,,,,।
प्रफुल्लित आंचल ,
रश्मियों का,
हुआ समर्पित,
अवनि का द्वार,,,,,,,।
बेचैन सर्द,
फिजाओं से मिलने,
खुला प्यासी ,
गुलाबी धूप का,
मखमली द्वार,,,,,,,,,।
मधु वैष्णव मान्या
जोधपुर,राजस्थान

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