समारोह पूर्वक मनायी गई महाराणा प्रताप और भामा साह की जयंती

समस्तीपुर। समस्तीपुर शहर के काशीपुर चौक स्थित एक निजी विवाह भवन में भारतीय इतिहास के महानायक राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप तथा दानवीर भामा साह की जयंती धूमधाम से समारोह पूर्वक मनाई गई। विषय प्रवेश व स्वागत सम्बोधन महाराणा प्रताप व भामा साह जयंती समारोह के संयोजक जितेन्द्र सिंह चंदेल, अध्यक्षता प्रोफेसर डॉ० विजय कुमार गुप्ता, संचालन प्रोफेसर मेघनाथ सिह तथा धन्यवाद ज्ञापन स्थानीय विधायक के प्रेस प्रतिनिधि राकेश कुमार ठाकुर ने किया। वक्ताओं ने महाराणा प्रताप के जीवनवृत्त पर चर्चा करते हुए कहा कि अपराजित व्यक्तित्व के कारण महाराणा प्रताप का नाम देश व दुनिया में अमर है। महाराणा प्रताप वीरता के परिचायक हैं, इतिहास में वीरता और राष्ट्रीय स्वाभिमान के रूप में महाराणा प्रताप का नाम अमर रहेगा। महाराणा प्रताप ने राष्ट्रीय स्वाभिमान का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। देश के महान सपूत और वीर योद्धा महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर शत-शत नमन।

उनकी जीवन-गाथा साहस, शौर्य, स्वाभिमान और पराक्रम का प्रतीक है, जिससे देशवासियों को सदा राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा मिलती रहेगी। पूर्व विधायक दुर्गा प्रसाद सिह ने कहा कि मेवाड़ राज्य में जन्में भामा शाह बाल्य काल से ही मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के मित्र, सहयोगी व विश्वासपात्र सलाहाकर थे।

अपरिग्रह को जीवन का मूलमंत्र मानकर लोगों को संग्रहण की प्रवृति से दूर रहने की चेतना जगाने का काम करते थे। मातृभूमि के प्रति इनका अगाध प्रेम था। इनके सहयोग से ही महाराणा प्रताप ने संघर्ष को नई दिशा दी और मेवाड़ को आत्मसम्मान दिलाया। 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में इन्होंने इतना दान दिया था कि 25 हजार सैनिकों का 12 वर्ष तक निर्वाह हो सकता था। इसी सहयोग के बाद महाराणा प्रताप ने पुन: सैन्य शक्ति संगठित कर मुगल शासकों को पराजित किया और मेवाड़ राज्य प्राप्त किया। लोकहित व आत्म सम्मान के लिए अपना सर्वस्व दान कर देनेवाली उदारता के इस गौरव का गुणगान व अनुकरण करने की जरुरत है।

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