वीर
वीर पुरुष जो होते हैं।
धीरज कभी न खोते हैं।
विघ्नों को गले लगाते हैं।
प्रचंड तेज वो रखते हैं।
विवेक नीतिवान होते हैं।
उपकार सभी पे करते हैं।
दंभ तनिक न रखते हैं।
कृत्रिमता न उनके दिखते हैं।
अगणित उनके है गुण।
सत्पुरुष उनसे जाते जुड़।
राहों को देते हैं मोड़।
है कौन उनको सका रोक।
प्रताप उनका दिखता है।
प्रखर बुद्धि वो रखता है।
तेजस्वी उठो तुम वीर हो।
पथ पर डटो तुम धीर हो।
प्रेमा पटेल
एयरपोर्ट कालोनी बाबतपुर वाराणसी