युवा शक्ति

हुँकार भरे है भारत का युवा,
तब हो जाते है सब दंग-दंग ।

यह कर्मभूमि है माता इनकी,
युवा शक्ति है दबंग-दबंग ।।

रग- रग में इनके वतन,
वीरो सा इनका अंग-अंग ।

हैं मातृभूमि के लाल-सपूत,
युवा शक्ति है दबंग-दबंग ।।

बाहुबली सी भुजा इनकी,
देशप्रेम जिनके संग-संग।

नौजवान की यह असीम शक्ति,
युवा शक्ति है दबंग-दबंग ।।

कर्म है तेरा ऐसा यहाँ,
जोश का फैला रंग-रंग ।

वतन का ऐसा प्रेम यहाँ,
युवा शक्ति है दबंग-दबंग ।।

थामे हाथ चले जब युवा,
कायर हो जाते है तंग-तंग ।

बढ़ चले है भारत के युवा,
युवा शक्ति है दबंग-दबंग ।।

रचना मेरी स्वरचित और मौलिक है।

✍️रचनाकार-
विनोद परिहार’शुभ’
(अध्यापक, कवि, मंच संचालक)
मुण्डारा, बाली, पाली, राजस्थान

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