मेदान्ता गुरूग्राम ने पेश की अनूठी उपचार तकनीक
डिस्पोज़ेबल, सिंगल यूज़ ड्योडिनोस्कोप की मदद से ईआरसीपी करने वाला भारत का पहला अस्पताल
गुरूग्राम: अपने मरीज़ों को विश्वस्तरीय तकनीक की उपचार सेवाएं उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए मेदान्ता डिस्पोज़ेबल ड्योडिनोस्कोप की मदद से बाईल डक्ट में से स्टोन निकालने वाला उत्तर भारत का पहला अस्पताल बन गया है। 30 वर्षीय मरीज़ पीलिया, तेज़ दर्द और बुखार से पीड़ित था।
ड्योडिनोस्कोप एक विशेष एंडोस्कोप है जिसका उपयोग एक प्रक्रिया- एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेन्जियोपैनक्रियाटोग्राफी (ईआरसीपी) के लिए किया जाता है। डिवाइस बाईल या पैनक्रियाटिक डक्ट का एक्सेस देती है, जिससे ट्यूमर, बाईल डक्ट स्टोन, सूजन, संक्रमण और पैनक्रियाटिक डक्ट के स्टोन का इलाज किया जा सकता है। नया, लाइटवेट, सिंगल-यूज़, डिस्पोज़ेबल ड्योडिनोस्कोप को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इससे इन्फेक्शन की संभावना नहीं रहती और प्रक्रिया के दौरान सम्पूर्ण सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।
डॉ राजेश पुरी, डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंट्रेलोजी, इंस्टीट्यूट ऑफ़ डाइजेस्टिव एण्ड हेपेटोबाइलरी साइन्सेज़, मेदान्ता ने कहा, ‘‘नया, सिंगल यूज़ ड्योडिनोस्कोप बाईल एवं पैनक्रियाटिक रोगों के आधुनिक उपचार के लिए उल्लेखनीय तकनीक है। अस्पताल-अधिग्रहित संक्रमण दुनिया भर में मौतों के मुख्य कारणों में से एक है।
नया ड्योडिनोस्कोप उपचार प्रक्रियाओं के द्वारा संक्रमण से होने वाले क्रॉस कंटेमिनेशन से बचाकर मरीज़ को सम्पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है।’‘