महिंद्रा-टेरी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने गुरुग्राम वाटर सस्टेनबिलिटी एसेसमेंट रिपोर्ट जारी की
- गुरुग्राम की पानी की आवश्यकता 2025 तक 874.3 एमएलडी (मिलियन लीटर/प्रतिदिन) तक पहुंचने की उम्मीद
- अन्य उपायों के साथ, 2025 तक 734.37 एमएलडी की स्थापित एसटीपी क्षमता की सिफारिश
गुरुग्राम। महिंद्रा लाइफस्पेसेज® और द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) की संयुक्त शोध पहल महिंद्रा-टेरी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) ने गुरुग्राम में जल संबंधी संभावित चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए एक रिपोर्ट लॉन्च की है। रिपोर्ट को एक वर्चुअल इवेंट में लॉन्च किया गया, जिसमें टेरी के सीनियर डायरेक्टर श्री संजय सेठ, महिंद्रा ग्रुप के चीफ सस्टेनबिलिटी आॅफिसर श्री अनिर्बान घोष और अन्य विशेषज्ञ और विचारक नेता भी शामिल हुए।
आवासों में सतत जल उपयोग का मुद्दा महिंद्रा-टेरी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) के अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जिसका उद्देश्य भारत के निर्मित पर्यावरण के लिए विज्ञान आधारित समाधान विकसित करना है। यह अध्ययन एक यूनिक, इंटीग्रेटेड, ‘वन वाटर’ पद्धति का उपयोग करके किया जाता है, जिसमें समग्र शहरी जल प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं की सिफारिश करने के लिहाज से जल प्रणालियों के कई पहलुओं को शामिल किया जाता है – जैसे कि तूफान का पानी, अपशिष्ट जल और जल आपूर्ति नेटवर्क। गुरुग्राम के बारे में की गई स्टडी में यहां रहने वाले लोगों के सामने पेश आने वाले संभावित जल जोखिम के साथ-साथ जल स्रोतों, गवर्नेंस, बुनियादी ढांचे और मांग और आपूर्ति से जुड़े मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया है।
टेरी के सीनियर डायरेक्टर श्री संजय सेठ ने कहाकि तेजी से शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के साथ-साथ बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक दबाव के कारण गुरुग्राम को बार-बार बाढ़, पानी की कमी और ईकोलाॅजिकल फुटप्रिंट में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हमें पर्यावरण के अनुकूल विकल्प और डिजाइन को अपनाना चाहिए, जो परिवर्तन के बारे में पूर्वानुमान लगाते हुए उसे ट्रैक कर सके। इसी सिलसिले में महिंद्रा-टेरी सहयोग के तहत टेरी द्वारा किए गए एक अध्ययन के परिणामों पर आधारित रिपोर्ट को आज लॉन्च किया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- गुरुग्राम जिले में मौजूदा शहरी विकास की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए, निर्मित क्षेत्र 2025 में 518.8 किमी या 2007 की तुलना में लगभग तीन गुना बढ़ने का अनुमान है। इसे विकास के साथ यह एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में भी उभर रहा है और यहां बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए आवासीय टाउनशिप और बुनियादी ढांचे का दायरा भी बढ़ता जा रहा है।
- 2025 तक गुरुग्राम की आबादी 4.3 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके परिणामस्वरूप शहर की पानी की मांग उसी वर्ष 874.3 एमएलडी तक पहुंचने की संभावना है।
- गुरुग्राम जिले में जलाशयों का क्षेत्रफल 2007 में 55.2 किमी की तुलना में 2025 तक सिकुड़कर 0.42 किमी ही रहनेे की उम्मीद है।
- तेजी से बदलती जलवायु के कारण आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में वर्षा के अप्रत्याशित पैटर्न का अनुभव होने की संभावना है। पहले, शहर में दो-तीन दिनों में लगातार हल्की बारिश होती थी जो पूरे मानसून के महीनों में समान रूप से फैलती थी। लेकिन पिछले एक दशक में इतनी ही मात्रा में बारिश सिर्फ 2-3 घंटों में होती है, जो मानसून के महीनों में अनियमित बारिश का संकेत देती है।
- गुरुग्राम अपने प्राकृतिक जलमार्गों के प्रदूषण के एक महत्वपूर्ण जोखिम का सामना कर रहा है। जिले में उत्पन्न अपशिष्ट जल की मात्रा 2025 तक बढ़कर 699.4 एमएलडी होने का अनुमान है।
गुरुग्राम में सस्टेनेबल वाटर मैनेजमेंट के लिए रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें
- तेजी से होने वाले आबादी संबंधी परिवर्तनों के कारण पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण और पुर्नउपयोग जैसे जल संरक्षण प्रथाओं का प्रचार और इन्हें अपनाना
- प्राकृतिक और शहरी जल प्रवाह प्रणालियों दोनों को मजबूत करने के लिए क्षेत्र के ईकोसिस्टम की रक्षा के लिए नीतियां विकसित करना और उपायों को डिजाइन करना
- जल शासन संरचना और प्रशासन को सुदृढ़ बनाना, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से एक पारदर्शी और भागीदारी तंत्र स्थापित करना
- बाढ़ से बचाव के उपायों को डिजाइन और कार्यान्वित करना।
- नई और इनोवेटिव तकनीकों के साथ वाटर एफिशिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करना
महिंद्रा-टेरी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भारत में हरित भवनों के विकास को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान तकनीकों, उपकरणों और प्रदर्शन से जुड़े साॅल्यूशंस का लाभ उठाता है। महिंद्रा और टेरी की संयुक्त अनुसंधान पहल भारत के लिए ओपन-सोर्स और विज्ञान-आधारित समाधान विकसित करने की दिशा में काम कर रही है।