भारत में सड़क सुरक्षा के लिए गेम- चेंजर होगा मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019- कंस्यूमर वॉयस

नई दिल्ली। भारत में सड़क दुर्घटनाएं चिंता का एक प्रमुख कारण हैं क्योंकि ऐसा कोई दिन नहीं है जब आपने सड़क दुर्घटनाओं के बारे में पढ़ा या सुना नहीं हो। वर्ष 2019 की बात करें तो देश में कुल 449,002 सड़क दुर्घटना के केस सामने आए जिनमें से 151,113 की मौतें हुई और 451,361 घायल हुए। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनमें से 70 फीसदी दुर्घटनाओं में युवा थे। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय यानी एमओआरटीएच की 2019 की रिपोर्टमें रिकॉर्ड किया गया कि भारत, विश्व सड़क सांख्यिकी, 2018 में रिपोर्ट किए गए 199 देशों में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या में चीन और अमेरिका के बाद पहले स्थान पर है। सड़क सुरक्षा 20018 पर डब्ल्यूएचओ की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में दुर्घटना से संबंधित मौतों का लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा है।

दुर्भाग्य से, कुछ राज्य सरकारें भारत में सड़क सुरक्षा में सुधार की वास्तविक भावना के खिलाफ अपने-अपने राज्यों में एमवीए के कुछ प्रावधानों को शिथिल और कमजोर कर रही है। जमीनी क्रियान्वयन अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है। गुजरात ने तो जुर्माने में बदलाव कर इसे लागू कर दिया। उत्तराखंड सरकार ने नए मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 के तहत लगाए गए कुछ जुर्माने की मात्रा में ढील दी है। जो राज्य एमवीए 2019 के उचित क्रियान्वयन में झिझक रहे हैं उन्हें अब अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। आपको बता दें कि एमवीए 2019 को पूरी तरह से लागू करना हमारी सड़कों पर, खासकर हमारी युवा पीढ़ी के कीमती जीवन को बचाने के लिए एक गेम चेंजर हो सकता है।

आपको बता दें कि भारत को पैराओलपिंक चैंपियन पर बहुत गर्व है। भारत ने उसमें कई मैडल भी जीते। लेकिन हमारे कई विश्व स्तरीय खिलाड़ियों को सड़क दुर्घटना का शिकार होना पड़ा। कई खिलाड़ियों की तो सड़क दुर्घटना के कारण जीवन ही उजड़ गया। कुछ को व्हीलचेयर तक में जीवन जीना पड़ा। कई खिलाड़ियों को अपने कॅरियर से हाथ धोना पडा।
यदि संशोधित एमवीए एक्ट समय पर लागू होता तो ऐसे कई लोगों के जीवन और कॅरियर से हाथ नहीं धोना पड़ता। एमवीए जो 1 सितंबर 2019 को एक वास्तविकता बना गया, मोटर वाहन अधिनियम 1988 में एक ऐतिहासिक संशोधन है। यह न केवल 30 सालों के अंतराल के बाद आया, बल्कि इसमें कुछ बड़े और बहुत आवश्यक बदलाव भी आए।

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