भाकपा द्वारा वामपंथी नेताओं के विरुद्ध वाराणसी पुलिस के द्वारा गुंडा एक्ट एवं अन्य धाराओं में एफआईआर की कड़े शब्दों में आलोचना
लखनऊ 11 जनवरी 2020। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को पत्र लिख कर अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन) (AIKS Ajoy Bhawan) एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के नेताओं सहित अन्य वामपंथी एवं जनवादी नेताओं के विरुद्ध वाराणसी पुलिस के द्वारा गुंडा एक्ट एवं अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज किए जाने की कड़े शब्दों में आलोचना की है। भाकपा ने उन्हें तुरंत वापस किए जाने की मांग की है।
यहां जारी एक बयान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि वाराणसी में अखिल भारतीय किसान सभा एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं पर अनेकों धाराओं में मुकदमे कायम किए गए हैं और उनके विरुद्ध गुंडा एक्ट में भी मुकदमा कायम करने के लिए उनको नोटिस जिला प्रशासन के द्वारा भेजा गया है।

वाराणसी के ,पेशे से किसान ,अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कामरेड जय शंकर सिंह उम्र लगभग 70 वर्ष एक पोलिटिकल लीडर हैं उनको वाराणसी के अपर जिला मजिस्ट्रेट प्रशासन ने 29 दिसम्बर 2020 की तारीख में एक नोटिस भेजा है जिसमें उनसे अपेक्षा की गई है कि वह 16 जनवरी 2021 को अपना स्पष्टीकरण दें कि क्यों ना उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम 1970 की धारा 3/3 के अंतर्गत उनके विरुद्ध आदेश पारित कर दिए जाएं। नोटिस में मुकदमा संख्या 296/2020 बीट सूचना दिनांक 23 3 2020 रपट नंबर 43 थाना फूलपुर वाराणसी में वर्णित धारा 147, 148 , 149, 188 ,332, 353 ,341 तथा 7 सीएलए एक्ट के आरोप पत्र का भी हवाला दिया गया है।
बयान में कहा गया कि यह उल्लेख करना आवश्यक है कि आंदोलन के दौरान उक्त समस्त धाराएं इन पर लगाई गई थी जिसका कोर्ट ने संज्ञान लिया और वाराणसी के सेशन कोर्ट द्वारा इनको और इनके साथ अन्य पॉलीटिकल लीडर्स को जो उस वक्त वाराणसी जेल में बंद थे सब को जमानत प्रदान की गई थी। कोर्ट की भावनाओं के विपरीत एवं आदेशों के विपरीत अब वाराणसी की पुलिस और जिला प्रशासन इन धाराओं का सहारा लेते हुए राजनैतिक और किसान नेताओं पर गुंडा एक्ट कायम करके उनको जेल भेजना चाहता है। उसकी मंशा अत्यंत स्पष्ट है।

इसी प्रकार का एक अन्य नोटिस अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन )के सक्रिय नेता एवं कार्यकर्ता एवं पिंडरा ब्लाक वाराणसी के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव श्री नंदा राम शास्त्री उम्र 69 वर्ष को भी भेजा गया है ।
अखिल भारतीय किसान सभा एवं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी ) (CPI-M) के वाराणसी के नेता रामजी सिंह (Ramji Singh) , वाराणसी के ही स्वराज अभियान (Swaraaj Abhiyan) के प्रदेश महासचिव राम जन्म यादव (Ramjanam Yadav) ,स्वराज इंडिया कार्यकर्ता शिवराज यादव (Shivraj Yadav) एवं सीपीएम के किसान नेता वंशराज पटेल (Bansraaj Patel) आदि को भी इस प्रकार के नोटिस भेजे गए हैं।
जारी बयान में पार्टी के राज्य सचिव डॉ गिरीश ने कहा कि कामरेड जय शंकर सिंह Jai Shankar Singh() एवं नंदा राम शास्त्री (Nanda Ram Shastri) तथा अन्य सभी किसानों के प्रतिबद्ध नेता है और दशकों से वाराणसी में जनता की सेवा कर रहे हैं और वाराणसी के सम्मानित पॉलीटिकल लीडर्स है। इनमें से एक भी गुंडा नहीं है।
गुंडे तो वों है जिन्होंने बदायूं में कांड किया और महिला का बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी या गुंडे तो वह लोग हैं जो कानपुर के वीभत्स बिकरू कांड से जुड़े हुए हैं ।
यह सब नेता सरकार के द्वारा प्रतिपादित किसानों के संबंध में नीतियों को गलत मानते हैं और ऐसा मानते हैं कि उसका दुष्प्रभाव देश की जनता के ऊपर पड़ेगा। इसलिए वह उसका विरोध करते हैं।ये सच्चे देश भक्त हैं।
डॉ गिरीश नें आगे कहा कि इन सब नेताओं का विरोध करने का तरीका भी भारत के संविधान में प्रदत्त अधिकारों के अनुकूल है।भारत का संविधान देश के प्रत्येक नागरिक की रक्षा करता है और उसको अधिकार प्रदान करता है।भारत के संविधान ने वाक स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य का अधिकार अपने नागरिकों को दिया है ।किसी भी नागरिक को एक ही कृत्य के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित भी नहीं किया जा सकता है।
उन्होने कहा लाखों किसान दिल्ली में डेरा डाले हैं और वाराणसी के किसान नेता वाराणसी में किसानों के समर्थन में कार्य करते हैं।वो उस नीति का समर्थन कर रहे हैं जिस नीति के अनुकूल लाखों किसान दिल्ली में हैं। जिनसे सरकार वार्ता के लिए बाध्य भी हो रही है और किसान सरकार से निरंतर मांग कर रहे हैं कि सरकार के द्वारा पारित तीनों किसान विरोधी कानूनों को और इलेक्ट्रिसिटी संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिया जाए।
डॉ गिरीश (Dr Girish) ने सरकार से मांग की कि वाराणसी प्रशासन को और पुलिस को आदेश दे कि नेताओं के खिलाफ जारी किया गया नोटिस तत्काल वापस लिया जाए और नेताओं के विरुद्ध लगाए गए समस्त मुकदमे वापस लिए जाएं तथा दमन की राज्य शैली और कार्यविधि की नीति निरस्त की जाये। भारत देश का जनवादी संविधान दमन की इजाजत नहीं देता।