भगत सिंह व पाश की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का आयोजन
बिलासपुर। देश के युवाओं के प्रेणास्रोत क्रांतिकारी शहीदे आज़म भगतसिंह, उनके साथी सुखदेव, राजगुरु एवं कवि अवतार सिंह “पाश” की पुण्यतिथि पर आयोजित संगोष्ठी में प्रख्यात आलोचक ईश्वर सिंह दोस्त ने कहा कि लोकतंत्र कभी भी बहुमतवाद, धर्म व जाति पर आधारित नहीं हो सकता है।
शहीद भगत सिंह व क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह संधू “पाश” की पुण्यतिथि पर प्रगतिशील लेखक संघ, भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) व हम भारत के लोग द्वारा पुराना प्रेस क्लब , ईदगाह चौक में संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में *लोकतंत्र की चुनौतियाँ* विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि लोकतंत्र में अपनी आलोचना करना, अपने मत व असहमति को व्यक्त करने का अधिकार होता है।
हमारा देश तंग दिमागों, संकीर्ण मानसिकता का देश बनता जा रहा है। विवेक, बुद्धिमत्ता व तर्क को नष्ट करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
‘दोस्त’ ने कहा कि शहीद भगत सिंह व कवि अवतार सिंह संधू “पाश” के विचार जनतांत्रिक है, और उन्होंने देश की आम जनता पर केंद्रित लोकतंत्र व कल्याणकारी राज्य की अवधारणा रखी थी।
विशिष्ट वक्ता मुरली मुरली मनोहर सिंह ने कहा कि इस समय लोकतंत्र संकट के दौर से गुजर रहा है। अब लोकतंत्र व संविधान को बचाने की लड़ाई है।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म करने, सत्ता के अनुकूल नियंत्रित करने की कोशिशें की जा रही है।
90 के दशक में प्रकाशित पुस्तक “खोया पानी ” के एक पैराग्राफ का उल्लेख कर कहा कि देश कोई भी हो, फासिज्म की ताकते अपने को स्थापित करने की पुरजोर कोशिश करती हैं।
विशिष्ट वक्ता , इकबाल सिंह उबोवेजा ने भगतसिंह के जीवन व विचारो पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया कि यह भारत भगत सिंह के अनुमान का भारत है, उनके सपनों का , सोच का भारत नहीं है।