बस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करेगी भाजपा
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने 5000 करोड़ रुपये के डी.टी.सी. बस घोटाले की भ्रष्टाचार विरोधी विभाग से जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि जांच से पूर्व परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को इस्तीफा देना चाहिए और गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को हटा दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो कल सभी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री आवास के बाहर भाजपा विरोध प्रदर्शन करेगी।
श्री आदेश गुप्ता ने आज यहां नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक श्री विजेन्द्र गुप्ता के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि परिवहन घोटाले की जांच के लिए समिति ने इस मामले में जारी निविदा को रद्द कर नए सिरे से निविदा जारी करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि बसों के रखरखाव के लिए जारी टेंडर को रद्द करने की राय देकर जांच समिति ने मान लिया कि खरीद में गड़बड़ी की गई है। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा मीडिया प्रमुख श्री नवीन कुमार जिंदल और प्रदेश प्रवक्ता श्री आदित्य झा उपस्थित थे।
श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि बस घोटाले की जांच करने वाली समिति ने बस रखरखाव के टेंडर को नये सिरे से जारी करने की बात कही है, इससे स्पष्ट है कि टेंडर के नियमों का पालन नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा से ही बसों के रखरखाव के लिए उनकी खरीद से ज्यादा का टेंडर जारी करने पर आपत्ति जताती रही है। इससे स्पष्ट है कि बस खरीद के नाम पर 3500 करोड़ रुपये का घोटाला किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को छोड़ने वाली नहीं है। दोषियों को सज़ा दिलाने और परिवहन मंत्री श्री कैलाश गहलोत के इस्तीफे तक भाजपा का आंदोलन बराबर जारी रहेगा।
नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि जांच समिति ने जब मान लिया है कि रखरखाव के टेंडर को नये सिरे से जारी किया जाए तो इससे स्पष्ट है कि मामले में कोई घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार बईमानी करने जा रही थी, लेकिन भाजपा ने इसे बीच में ही रोक दिया।
श्री बिधूड़ी ने कहा कि डी.टी.सी. के पास अपने डिपो के वर्कशॉप है, कर्मचारी हैं तो फिर रखरखाव का काम बाहर से क्यों कराया जाए। अब जब जांच की रिपोर्ट भी कह रही है कि रखरखाव में जो 3500 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया था, उसे नये सिरे से जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि जांच समिति ने अब मान लिया है कि इसमें गड़बड़ी हुई है, इसलिए मामले की आगे की जांच के लिए उपराज्यपाल भ्रष्टाचार विरोधी विभाग को आगे की जांच के निर्देश दें।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि बस खरीद में दो ही कंपनियां आई जिनसे क्रमशः 700 और 300 बसों की खरीद होनी थी। इसके साथ ही सरकार ने यह तय कर दिया कि बसों की रखरखाव के टेंडर में वे कंपनी शामिल हो सकती है जिनसे बस खरीद की जाएगी। इससे स्पष्ट है कि जिन दो कंपनियां बस सप्लाई करेगी, रखरखाव का काम भी उन्हें ही मिलेगा जो कि 3500 करोड़ रुपये का रहेगा।
इस तरह सरकार ने बस खरीद और रखरखाव के नाम पर 5000 करोड़ का घोटाला कर लिया जिसे भाजपा लगातार जोर-शोर से उठा रही है। अब जांच समिति ने 3500 करोड़ के रखरखाव के टेंडर को रद्द कर नए सिरे से टेंडर करने को कहा है जिससे स्पष्ट है कि घोटाला तो हुआ है। इसलिए इस मामले के दोषी परिवहन मंत्री और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।