फ्री वैक्सीन! कितनी फ्री! कैसी फ्री!
राजकुमार अरोड़ा गाइड
बड़ा ही अजीब सा माहौल हो गया है देश में,वोट बटोरने के चक्कर में पता नही कितनी ही तरह की घोषणाएं हो जाती हैं। पानी, बिजली, स्कूटी, टैब, सिलेंडर आदि और न जाने क्या क्या? अब ये कोरोना से बचाव हेतु पहले 45 प्लस के लिये और अब18 प्लस के लिये फ्री। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और किसी महामारी की रोकथाम के लिये फ्री सुविधा दी है तो यह कल्याणकारी राज्य,वेलफेयर स्टेट होने के नाते फ़र्ज़ है, सरकार का!क्या भारत का हर नागरिक किसी न किसी रूप में कोई टैक्स नहीं देता? आखिर यह हम टैक्सपेयर्स की गाढ़ी कमाई का हिस्सा ही तो है!तीन गुणा टैक्स लग कर जो पेट्रोल, डीज़ल के सौ से ऊपर दाम मजबूर जनता दे रही है,फ्री वैक्सीन का कुछ दारोमदार उस पर भी है।
फिर फ्री वैक्सीन के नाम पर एक ही व्यक्ति की वाहवाही क्यों। क्या मोदी जी ये सारा पैसा अपनी गुजरात मे कोई ज़मीन बेच कर लाये हैं? पूरे भारत वर्ष में महामना मोदी जी के बड़े बड़े होर्डिंग्स के साथ स्तुति गान है। लाखों करोड़ों रुपए इस के प्रचार में झोंक दिये गये। इतने में तो पता नहीं कितने विकास कार्य हो जाते जो व्यर्थ में अपनी छवि चमकाने में गवाँ दिये। यही काम केजरीवाल जी करें तो आसमां सिर पर उठा लो,यही काम तुम करो तो ठीक और न्यायसंगत। ऊपर से राष्ट्रीय प्रवक्ता ऐसे जो चश्मा ही,मोदी जी वाला पहन लेते हैं। उनका तो ये हाल है-“राजा ने कहा रात है, मन्त्री ने कहा रात है,संतरी ने कहा रात है,पर यह सुबह सुबह की बात है।”
संबित पात्रा तो यूँ बयान देते हैं,जैसे हर बार मुहँ खोलने से पहले रातोंरात पूरे भारत की परिक्रमा कर आये हों! मोदी जी के हर छोटे बड़े कार्य को एक तगड़ा इवेंट बनाने की कोशिश रहती है। अप्रैल के मध्य व मई के दौरान ही कोरोना की दूसरी लहर में प्रचण्ड बहुमत की सरकार का सारा तन्त्र धराशायी हो गया ओर उनके साथ हम भी अपने स्वजनों को मौत के मुहँ में जाते हुए बेबस हो कर देखते रहे।सुप्रीम कोर्ट ऑक्सीजन की कमी को ले कर सुनवाई करता रहा,कितने ही नामी गिरामी हॉस्पिटल्स के नाम के साथ ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत की खबरें मीडिया व अखबारों में आईं! उस समय के भयावह माहौल व सिसकते लोगों को याद करते हैं तो सिहरन सी दौड़ जाती है। राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट को आधार बना कर एक ही झटके में मोदी सरकार ने कह दिया ऑक्सीजन से एक भी मौत नहीं हुई! यह उन लोगों के गहरे घाव पर नमक छिड़कने जैसा हो गया जिन्होंने तिल तिल कर अपने स्वजनों को मरते देखा था। अब जब इसको ले कर किरकिरी हुई तो राज्यों से रिपोर्ट में एक नये कालम को जोड़ रिपोर्ट भेजने को कहा।
21 जून को योग दिवस पर 18 प्लस के लिये फ्री वैक्सीन को शुरू करना था तो पहले से तय प्लानिंग के अनुसार 88 लाख को वैक्सीन लगा, विश्व रिकार्ड बना पूरे विश्व मे वाहवाही लूट ली! उसके एक सप्ताह बाद ही यह 18 लाख प्रतिदिन पर आ गई,बीच मे कुछ दिन आठ नौ लाख तक आ गई थी। अब तो सरकार ने संसद में लिखित प्रश्न के उत्तर में स्वीकार किया कि दिसम्बर के अन्त तक यह लक्ष्य पाना मुश्किल है,कब तक होगा निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता ! सुप्रीम कोर्ट को भी कहना ही पड़ा जब व्यवस्था सुचारू नहीं थी,प्रचुर मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी तो एक मई से 18 प्लस के लिये घोषणा क्यों की? अब वैक्सीन की कमी के कारण
टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ हो जाने से धक्कामुक्की व मारपीट की नौबत आने लगी है,आधे से ज्यादा लोगों को निराश हो वापिस जाना पड़ता है। भीड़ के कारण तो कोविड नियमों की अनदेखी स्वाभाविक है,खतरा भी बढ़ सकता है,सरकार को इस ओर बहुत ज्यादा ध्यान देना होगा। वेक्सीनेशन प्रक्रिया में गुणात्मक सुधार हो,उपलब्धता बड़ाई जाये ,तीसरी लहर का खतरा बरकरार है! बच्चों की वैक्सीन भी अभी आनी है।
इसी तन्त्र की अव्यवस्था ने ही तो मई माह में क्या क्या न दिखा दिया! अब टीकाकरण केंद्रों चाहे वह सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर हों या सदाशय सहयोग करती संस्थाओं द्वारा,पर पूर्ण रूप से सख्ती के साथ निगरानी हो। सी एम ओ,नोडल व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण हो, तब ही इस अभियान को गति मिलेगी और अधिकतम वेक्सीनेशन के लक्ष्य की ओर तीव्रता से बढ़ना होगा!और वैक्सीन की उपलब्धता भी बढ़नी जरूरी है।
भारतीयों में हालात में थोड़ा सा सुधार आते ही एकदम बेपरवाह होने की प्रवर्ति ज्यादा है। हमने इसका ही खामियाजा अभी दूसरी लहर में भुगता है,अभी भी कोरोना के रोज़ 40000 से ऊपर केस आ रहे हैं और पाँच छह सौ के बीच मृतकों की संख्या है,यह बहुत ही भयावह तस्वीर दिखने का अंदेशा है,बड़े बड़े बाजारों में बेशुमार भीड़,पर्यटक स्थलों में कोविड नियमों का उल्लंघन कहीं पहले से डरावना दृश्य पैदा न कर दे,
अब इसके लिये बड़े पैमाने पर सख्ती का होना बहुत जरूरी है। सरकार की नींद अब कुछ खुली तो है,केरल व महाराष्ट्रसहित दस राज्यों में जहाँ कोरोना केस ज्यादा है,वहाँवेक्सीनेशन की गति को तेज करना व उन 100 से ज्यादाजिलों में जहाँ 10 प्रतिशत से ज्यादा केस हैं, वहाँ कोविडनियमों का अत्यन्त सख्ती से पालन कराना। सिर्फ सरकार के भरोसे रहने से क्या होगा,आपके गले मे लटके मास्क को नाक मुहँ पर लगाने क्या सरकार आयेगी खुद चल कर क्या? अपने ही स्वास्थ्य की रक्षा के लिये,अपना जीवन बचाने के लिये नियमों का पालन तो हमको
खुद ही करना होगा,क्या आपको अपनी जान प्यारी नहीं!अपने बच्चों,घर परिवार के प्रति आपकी कोई जिम्मेदारी नहीँ।
सरकार को दोष देने से कुछ नहीं होगा,सरकार के लिये तो तुम एक जीते जागते आदमी भी नहीं हो सिर्फ एक आंकड़ा हो! बस एक आंकड़ा! केवल एक नंबर हो पर अपने माँ बाप,बीवी बच्चों के लिये एक पूरा परिवार हो, आधार हो,सँसार हो,लापरवाही के चलते तुम तो एक दिन स्वर्गीय हो जाओगे ओर तुम्हारा परिवार जिसके लिये तुमने तिल तिल जल कर हाड़ तोड़ मेहनत की थी,कितने ही सुखदसपने सँजोये थे वो निराधार,बेसहारा हो जाएंगे!
-राजकुमार अरोड़ा गाइड
सेक्टर 2,बहादुरगढ़(हरि०)