फादर स्टेन स्वामी बनाम गुरमीत राम रहीम

आर.एस.यादव
फादर स्टेन स्वामी 84 वर्ष के थे। पार्किन्सन रोग से पीड़ित थे जिसके कारण हाथ कांपते थे और खाना भी सही तौर पर नहीं खा पाते थे। चल-फिर भी नहीं पाते थे। उन पर यूएपीए कानून लगाया गया ताकि जमानत न मिल सके। रांची से लाकर उन्हें मुंबई में तलोजा जेल में डाल दिया गया।

जेल के अस्वास्थ्यकर हालात, खराब भोजन और उनके साथ हो रहे दुव्र्यवहार के कारण उनकी बीमारियां बढ़ गई। वह एक अंडर ट्रायल कैदी थे। उनके मामले में कोई चार्जशीट तक भी दायर नहीं हुई है। भले ही वह जेल में थे, बीमार होने पर उनके इलाज की व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी थी। पर केंद्र सरकार की एजेन्सी एनआईए ने यह कहकर कि वह उतने बीमार ही नहीं हैं, उन्हें इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाने दिया। इसके लिए उन्होंने अदालत में गुहार लगायी कि उनके इलाज की व्यवस्था की जाए। पर मोदी सरकार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी कि उनका इलाज न हो सके और वह अस्पताल न जा सकें। यहां तक हुआ कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें अस्पताल भेजने में दस दिन की देरी की गयी। उन्हें कोविड-19 का संक्रमण भी हो गया था। अन्ततः उनकी मृत्यु हो गयी।

एक तरफ एक समाजसेवी, आजीवन आदिवासियों एवं गरीब लोगों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले योद्धा के साथ इस तरह का क्रूरतापूर्ण बर्ताव तो दूसरी तरफ हम देखते हैं कि हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास और यौन शोषण के एक मामले में 20 साल की सजा काट रहे एक मुजरिम के प्रति सरकार की तमाम की तमाम एजेन्सियां इस तरह का बर्ताव करती हैं मानो वह एक महान पुरूष है, वीआईपी है और उसके इलाज के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देती हैं।

यह मुजरिम हैं सिरसा (हरियाणा) के डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख गुरमीत रामरहीम, जो एक पत्रकार की हत्या में आजीवन कारावास और बलात्कार के एक मामले में 20 साल की सजा काट रहा है और उसका गुरूग्राम स्थित मेदान्ता अस्पताल में इलाज कराया गया।

फादर स्टेन स्वामी तो हाईकोर्ट तक में गुहार लगाते रहे पर फिर भी सही समय पर इलाज नहीं पा सके। परंतु हत्या के मामले में आजीवन कारावास और बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा काट रहे गुरमीत रामरहीम के मामले में इतनी फुर्ती दिखायी गयी कि उसने पेट दर्द की शिकायत की तो तुरंत पहले जेल चिकित्सकों ने उसकी जांच की। फिर पीजीआई के डाॅक्टरों से संपर्क कर सलाह-मशविरा किया गया। उन्होंने एम्स ले जाने को कहा। जेल प्रशासन ने पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया। सुबह एक डीएसपी के नेतृृत्व में पुलिस की एक टीम जरा-सा भी समय गंवाए बिना उसे एम्स ले गयी।

यह है केंद्र की मोदी सरकार और हरियाणा की खट्टर सरकर का चरित्र! एक भले आदमी के साथ क्रूरता और एक पापी के साथ इतनी रहमदिली!

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