पेगासस जासूसी का विरोध करने के लिए विपक्षी पार्टियां एकजुट
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी का विरोध करने के लिए 14 विपक्षी पार्टियां एकजुट हो गई हैं। इन पार्टियों के नेताओं ने 28 जुलाई को विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में एक मीटिंग की और पेगासस जासूसी के खिलाफ एक संयुक्त कार्यनीति पर विचार किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से इसमें बिनोय विश्वम ने हिस्सा लिया।
बाद में सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने संसद भवन से विजय चैक तक लगभग दो किलोमीटर का मार्च किया। उन्होंने हाथ में तख्तियां ले रखी थी। विजय चैक पर प्रेस को संबोधित करते हुए सभी पार्टियों के नेताओं ने यह संकल्प दोहराया कि वह मिलकर पेगासस जासूसी कांड के विरूद्ध आवाज उठाएंगे।
इस अवसर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सबसे पहले बोलते हुए कहा कि हमारा सिर्फ यह सवाल है कि क्या भारत सरकार ने पेगासस खरीदा?…… हां या ना। क्या सरकार ने अपने ही लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया?…….हां या ना।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके लोकतंत्र की आत्मा पर चोट की है। सरकार ने पेगासस पर चर्चा से इंकार कर दिया है। विपक्ष की आवाज को संसद में दबाया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘इस हथियार का इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ करना चाहिए। हम प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं पर क्यों किया गया। विपक्ष के नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के जज, चुनाव आयुक्त एवं अन्य के खिलाफ क्यों किया गया।
विपक्ष की सभी पार्टियों के नेताओं ने बारी-बारी से अपनी बात कही। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से बिनोय विश्वम बोले। सभी पार्टियों के नेताओं का जोर था कि संसद की कार्यवाही न चलने के लिए सरकार जिम्मेदार है। सरकार पेगासस जासूसी कांड और आठ महीने से चल रहे किसान आंदोलन की मांगों पर संसद में चर्चा कराने को तैयार नहींऋ पेगासस सत्र के मुद्दे पर विपक्ष की सभी पार्टियां एकजुट हैं। सरकार को जवाब देना होगा कि देश के लोगों की जासूसी क्यों की गई। उसने नहीं की तो किसने की? सभी का जोर था कि जासूसी कांड की संसद में चर्चा होनी चाहिए और इसकी जांच की जानी चाहिए।