पहचान पत्र के साथ किसानों का 22 जुलाई से संसद पर प्रदर्शन

आर एस यादव

19 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। साढ़े सात महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों ने अब 22 जुलाई से संसद पर लगातार प्रदर्शन करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस प्रदर्शन मंे 40 किसान संगठनों में से हरेक की तरफ से पांच किसान, यानी लगभग 200 किसान संसद के सामने प्रतिदिन प्रदर्शन करंेगे। वे टैªक्टर लेकर नहीं जाएंगे। बस से संसद पर पहुंचेंगे। जब तक संसद का सत्र चलता है यह प्रदर्शन जारी रहेगा।

संसद के बाहर किसान प्रदर्शन करेंगे और संयुक्त किसान मोर्चा ने विपक्षी पार्टियों से अपील की है कि वे संसद के अंदर किसानों की मांगों को उठाएं। इस प्रकार किसानों का यह आंदोलन संसद के अंदर से लेकर बाहर सड़क तक चलेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा का कार्यक्रम है कि 22 जुलाई को संसद मार्च के लिए 40 संगठनों के 200 प्रतिनिधि जाएंगे। इसके अलावा अन्य संगठनों के सदस्यों को भी शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।

संसद जाने वालों सभी किसानों के पहचान पत्र बनाएं जाएंगे और उन सभी को सिंघु बाॅर्डर से बस में बैठाकर रवाना किया जाएगा। पहचान पत्र बनाने का फैसला इसलिए किया गया है जिससे मार्च के दौरान कोई बाहरी व्यक्ति शामिल न हो सके। पहले दिन जाने वाले किसान शाम को वापस लौट आएंगे और उसके अगले दिन दूसरे किसान संसद मार्च के लिए जाएंगे।

संसद मार्च पर जाने वाले किसानों को यदि रास्ते में रोका गया तो वे वहीं धरने पर बैठ जाएंगे।

26 जुलाई को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के आठ माह पूरे होने और 9 अगस्त को ‘‘भारत छोड़ो आंदोलन’’ की जयंती पर संसद पर धरना देने महिला किसानों के जत्थे जाएंगे।

सभी विपक्षी पार्टियों के संसद सदस्यों को ई-मेल से पत्र भेजकर अनुरोध किया जाएगा कि वह संसद में किसानों की आवाज उठाएं। अगर वह संसद में किसानों की आवाज नहीं उठाते तो जिस तरह भाजपा के संसद सदस्यों का किसान विरोध कर रहे है, उनकी भी उसी तरह खिलाफत की जाएगी।

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