पर्यटन: हिमाचल प्रदेश के कसौली की ये वादियां—ये फिजाएं

विचार—विमर्श

हिमाचल प्रदेश का कसौली एक हिल स्टेशन, जो अपनी खूबसुरती के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। कसौली शिमला से भी अधिक ऊंचाई (3,647 मीटर) पर स्थित भीड़ से तो दूर तो है ही, यह पल-पल में बदलने वाली हवा इसको और खास बनाती है।


कसौली की खास बात यह है कि यहां देखते-देखते हवा बदलने लगती है और पलभर में बादलों का समूह धूप के नीचे छाकर बरसने लगता है और दूसरे ही पल मौसम साफ हो जाता है और चारों तरफ से तन-मन को रोमांचित करने वाली खुशनुमा हवा चलने लगती है।

यहां का मंकी प्वाइंट या क्राइस्ट चर्च, बस अड्डे या माल रोड, हनुमान मंदिर, साईं बाबा मंदिर, हर जगह पल भर में मन को तारोताजा कर देने वाली ठंडी हवा रोमांचति कर देती है। कसौली पहुंचने से दो या तीन किलोमीटर पहले से ही कसौली के क्षेत्र में प्रवेश करने का अहसास होने लगता है। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित हिल स्टेशन कसौली का जादू कहें तो कोई गलत नहीं होगा।


यहां पूरे साल लोग आते रहते हैं, अप्रैल से जून और सितम्बर से नवम्बर के महीनों में पर्यटकों की संख्या बढ़ जाती है। इन महीनों में कसौली के मौसम के अनेक रंग देखने को मिलत हैं। कभी थोड़ी धूप, कभी थोड़े बादल और कभी हल्की-हल्की बारिश की बूंदें मौसम को और सुहावना बनाते हैं। यहां के मौसम का पेड़-पौधों पर जो रंग चढ़ता है, उसे फूल-पत्तों पर महसूस का सकते हैं।

बर्फ का आनन्द उठाने की चाह रखने वाले पर्यटक दिसम्बर से फरवरी के बीच आते हैं और यहां होने वाली ओस जैसी बर्फ की मन को गुदगुदाती बारिश का आनन्द उठाते हैं। बताते हैं कि कसौली के नाम के बारे में कई कहानियां हैं। 17वीं शताब्दी में रेवाड़ी के कुछ राजपूत परिवार हिमालय की तलहटी में बसे कसुल नामक छोटे-से गांव में आकर बस कए थे।

बाद में यही गांव समय के साथ कसौली के रूप में जाने जाना लगा। इसके अलावा दूसरी कहानी के अनुसार यह है कि जाबली के पास कौसल्या नामक एक पहाड़ी जलधारा है। इस कारण इस जगह का नाम कसौली पड़ गया।

इस जगह के नाम के चाहे जितने किस्से हों, लेकिन विशेषताओं की चर्चा का कारण एक ही है और वह है एक बेहद आकर्षक हिल स्टेशन, जहां लोग बीमारी के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिए भी आते हैं और हवा रचनात्मक लोगों को रचना कर्म के लिए प्रेरित करती रहती है। शायद यही वजह रही होगी कि अंग्रेजों ने इसे हिल स्टेशन के रूप में व्यवस्थित रूप से विकसित किया था।

कसौली आने वाले पर्यटकों जो जगह सबसे जयादा आकर्षित करती हैं उनमें सबसे ऊंची जगह मंकी प्वाइंट और मंकी प्वाइंट पर बना हनुमान मंदिर है, इसके अलावा कसौली के कोलोनियल आर्किटेक्ट की मिसाल क्राइस्ट बैप्टिस्ट चर्च, शिरडी साईं बाबा मंदिर, बाबा बालक नाथ मंदिर, एशिया का सबसे ऊंचा टीवी टावर, एयरफोर्स गार्ड स्टेशन 100 साल से भी अधिक पुराने हैं।

बजाया जाता है कि हनुमान जी ने लक्ष्मण की जान बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाने जाते वक्त छलांग लगाने से पहले कसौली के इसी प्वाइंट पर कदम रखा था। कसौली के सबसे ऊंचे इस प्वाइंट पर हनुमान मंदिर भी बना हुआ है, जहां श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ लगी रहती है। इस मनोरम दृश्यों के दीवानों को यहां से कसौली की वादियों का नजारा देख कर रोमांचित होते खूब देखा जा जाता है।

अंग्रेजी हुकूमत द्वारा 1880 में स्थापित कसौली क्लब एक देखने वाली जगह है, जो देश के नामचीन क्लबों में शामिल है। इस क्लब की विशेषता यह है कि इसकी सदस्यता लेने के लिए 20 सालों की वेटिंग रहती है।

यहां हवाई मार्ग, रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यह दिल्ली से 264 किमी., चंडीगढ़ से 67 किमी. और कालका से 35 किमी. की दूरी है।

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