नव वर्ष

विचार—विमर्श

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की, शुभ घड़ी आई है।
नव वर्ष की नव हर्ष, साथ में अपने लाईं है।
शीत ऋतु हुआ समाप्त, आया दिन सुहाना है।
वसंत ऋतु में व्यर्थ अपना,समय नहीं गवाना है।
महुए की मादकता से,महकी फिजा आज है।
आमों में कोयलों की सुनाई देती आवाज है।
गेहूं,चना,मटर, सरसों, आज घर अन्न से भरे हैं।
बेला,गुलाब,गुलमोहर के , फूल आज तो खिले हैं।
हर प्राणी का हित हर्षित,ंंमन का हर कोना है।
नव वर्ष का नव दिन, आज ही तो होना है।
बैसाखी, नवरात्र की, खुशियां मनाई जाती है।
नव वर्ष पर नव दुर्गा, आशीष देने आती है।
नव दुर्गा के साथ रिद्धि सिद्धि भी आएंगी।
सुख-समृद्धि से परिपूर्ण साथ में खुशियां लाएगी।
मंगल के दिन से मंगल हो, कामना यही करते हैं।
आनंद,, में आनंद हो भावना यही रखते हैं।

प्रेमा पटेल
एयरपोर्ट कालोनी बाबतपुर वाराणसी

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments