द्रौपदी ने शस्त्र उठाया होता
अगर गोविंद ना आए होते
ना लाज द्रोपदी की बचाए होते
क्या होता उस सभा में?
क्या लूट गई देवी की इज्जत होती?
नहीं – नहीं ऐसा तो नहीं होता
फिर क्या हुआ होता ?
फिर
द्रोपती ने खुद ही अपने अंदर की
अगोचर शक्ति को जगाया होता
तब द्रौपदी ने शस्त्र उठाया होता,
सभा के अंधों को निंद्रा से उठाया होता
सभी कायरो को अहसास दिलाया होता
योद्धाओं से भरे सभा को जगाया होता
ऐसे भारत वर्ष की मर्यादा को बचाया होता ।
फिर
किसी ने की होती नहीं जुर्रत
स्त्री को शक्तिहीन समझने की
मान बचा कर खुद की उसने
रचा नया इतिहास होता।
अगर गोविंद ना आए होते
तब द्रौपदी ने शस्त्र उठाया होता।
– अनामिका सिंह
जमुई , बिहार