दिल्ली मेट्रो ने पिंक लाइन के त्रिलोकपुरी खंड का सिविल कार्य पूरा करने के लिए अपनाया अलग तरीका
नई दिल्ली। पिंक लाइन के त्रिलोकपुरी सेक्शन पर शीघ्र कार्य पूरा करने के लिए दिल्ली मेट्रो ने पारंपरिक कंक्रीट गर्डरों के बजाय स्टील गर्डरों का इस्तेमाल करते हुए निर्माण कार्य का एक अलग तरीका अपनाया है।
कंक्रीट गर्डरों के निर्माण के लिए कास्टिंग यार्ड स्थापित करने की जरूरत पड़ती और इतने छोटे खंड के लिए कम समय में कास्टिंग यार्ड स्थापित करना व्यावहारिक नहीं होता।
अतः इस खंड पर स्टील गर्डर इंस्टाल किए गए हैं। इस 290 मीटर लंबे सेक्शन पर 10 स्पैन के बीच 40 स्टील गर्डर लगाए गए स्टील गर्डर लगाए गए हैं। ये स्टील गर्डर अंबाला स्थित एक वर्कशॉप में तैयार करके यहां लाए गए हैं।
इससे न केवल समय की बचत हुई बल्कि कंक्रीट गर्डर बनाने के लिए एक अलग कास्टिंग यार्ड बनाने की जरूरत भी नहीं पड़ी। इन गर्डरों की लंबाई 16 से से लेकर 38 मीटर के बीच है।
वायाडक्ट की ऊंचाई लगभग 8 से लेकर 9.5 तक है। 200 मीटर के व्यास वाला एक कर्व्ड स्पैन भी इस खंड का हिस्सा है। इससे पूर्व, छतरपुर मेट्रो स्टेशन के निर्माण के लिए भी दिल्ली मेट्रो ने स्टील स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते हुए यही तरीका अपनाया था, क्योंकि उस स्टेशन के निर्माण में भी भूमि अधिग्रहण के मामलों के कारण देरी हुई थी।
इन स्टील गर्डरों को स्थापित किए जाने तथा डेक स्लैब की कास्टिंग का कार्य अप्रैल माह में कोविड महामारी की दूसरी लहर आने से ठीक पहले पूरा किया जा चुका था। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी क्योंकि, इस खंड के सिविल निर्माण कार्य वर्ष 2020 के आरंभ में शुरु किए गए थे और महामारी के कारण लगने वाले लॉकडाउन तथा श्रमिकों के उपलब्ध न होने जैसे मुद्दों के कारण इन कार्यों को बार-बार रोकना पड़ा।
अब, मयूर विहार पॉकेट-1 और त्रिलोकपुरी संजय लेक के बीच वाले खंड पर सिविल कार्य पूरे हो जाने के बाद, ट्रैक बिछाने तथा अन्य सहायक कार्य शुरु किए जा चुके हैं। इसके अलावा, ओवरहैड इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य भी जारी है। इसी माह के अंत तक ट्रैक बिछाने का कार्य पूरा होने की उम्मीद है। उसके बाद आरंभिक ट्रायल शुरु किए जाने संभावित हैं।
इस खंड विशेष पर कार्यों को शीघ्रता से निपटाए जाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। सभी संबंधित प्राधिकारियों से अनिवार्य क्लीयरेंस मिलने के तत्काल बाद इस सेक्शन को चालू कर दिया जाएगा। पूरा हो जाने के बाद, यह सेक्शन पिंक लाइन के दोनों छोर से जुड़ जाएगा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की दूर-दराज तक फैली बस्तियों के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएगा।
इस कॉरिडोर के माध्यम से महत्वपूर्ण परिवहन हब जैसे निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन, सराय काले खां आईएसबीटी, आनंद विहार रेलवे स्टेशन, आनंद विहार आईएसबीटी, दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन और दिल्ली हाट-आईएनए, सरोजिनी नगर और लाजपत नगर जैसे प्रमुख बाजार सीधे आपस में जुड़ जाएंगे।
बाद में इस कॉरिडोर को फेज़-IV में मजलिस पार्क से मौजपुर तक बढ़ाया जाएगा, जिससे यह लगभग 70 किलोमीटर लंबाई वाला भारत का सबसे बड़ा सिंगल मेट्रो कॉरिडोर बन जाएगा। फेज़-IV का कार्य पूरा होने पर, पिंक लाइन भी देश की मेट्रो में पहला रिंग कॉरिडोर बन जाएगा। डीएमआरसी त्रिलोकपुरी स्थित वायाडक्ट के नीचे एक इंटरनल रोड भी तैयार कर रही है जो वसुंधरा रोड तथा त्रिलोकपुरी रोड आपस में जोड़ेगा।
रोड की लंबाई 140 मीटर होगी। इससे उस क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी और यातायात भी सुगम हो सकेगा। पिंक लाइन के वर्तमान सेक्शन जबकि वर्ष 2019 में ही चालू हो चुके थे, इस छोटे से खंड में निर्विवादित भूमि की अनुपलब्धता के कारण देरी हुई। आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बाद, भूमि का अधिग्रहण हो पाया, परियोजना प्रभावित लोगों के पुनर्वास तथा पुनर्स्थापन का कार्य पूरा होने के बाद ही निर्माण कार्य आरंभ और संपन्न हो पाया।