दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) ने अपने मेट्रो स्टेशनों पर लाइटिंग सिस्टम को एलईडी (LED) में अपग्रेड किया
नई दिल्ली। ऊर्जा की बचत करने तथा एक बेहतर प्रकाश व्यवस्था का अनुभव कराने के उद्देश्य से दिल्ली मेट्रो ने मेट्रो स्टेशनों, डिपो, पार्किंग इत्यादि को मिलाकर 155 स्थानों, जो डीएमआरसी के फेज़-I (2005) और फेज़-II (2010) के अंतर्गत जनता के लिए निर्मित किए/ खोले गए थे, पर वर्तमान पारंपरिक लाइटों (अत्यधिक चमकीले बल्ब, फ्लोरोसेंट लैंप, सीएफएल लैंप इत्यादि) को एलईडी (LED) से बदले जाने का एक व्यापक अभियान चलाया है।
डीएमआरसी (DMRC) ने हाल के महीनों में इन स्थानों पर पारंपरिक लाइटों को बदलते हुए लगभग एक लाख एलईडी लाइटें लगाते हुए इस अभियान का 75% काम पहले ही पूरा कर लिया है। अभियान का शेष 25% कार्य, जहां इन स्थानों के शेष हिस्सों में लगभग 35000 एलईडी लाइटें लगाईं जाएंगी, अक्तूबर, 2021 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।
फेज़-I/II में लगाई गईं पारंपरिक लाइटों की ऑपरेशनल लाइफ लगभग दस वर्ष की थी। अपना प्रभावी कार्यकाल पूरा कर चुकी इन लाइटों के स्थान पर डीएमआरसी ने नई एलईडी लाइटें लगाने का निर्णय लिया है जो सस्ती होने के साथ-साथ ऊर्जा बचाने वाली भी होती हैं। एलईडी आधारित लाइट सिस्टम से डीएमआरसी (DMRC) को वर्तमान लाइटिंग सिस्टम की तुलना में ऊर्जा पर होने वाले व्यय के लगभग आधे की बचत होगी। फलस्वरूप, इन लाइटों के लगने से डीएमआरसी को लगभग दो वर्ष में इनकी पूर्ण लागत वसूल हो जाएगी।
पारंपरिक वर्तमान लाइटों की तुलना में एलईडी लाइटों का लाइफस्पैन लंबा होता है और इनकी रख-रखाव की लागत भी बहुत कम पड़ती है। एलईडी औसतन 50,000 ऑपरेटिंग घंटों अथवा अधिक समय तक प्रकाशवान रहती है। एक चमकीले बल्ब के लाइफस्पैन की तुलना में यह 40 गुना अधिक तक प्रकाशवान रहती है। इसके अतिरिक्त, एलईडी लाइटों से ऊर्जा की बचत भी होती है क्योंकि ये बहुत कम बिजली की खपत करती हैं।
डीएमआरसी ने सामान्य ऊंचाई से दुगनी या तिगुनी ऊंचाई तक के स्थानों तक पहुंच पाने के लिए विशेष तरह की सीढ़ियों और क्रेनों की व्यवस्था स्टेशनों पर की जो काफी पेचीदा और समय लेने वाला कार्य था।
डीएमआरसी ने अपने फेज़-III के स्टेशनों पर एलईडी आधारित लाइटिंग की व्यवस्था की है और फेज़-IV के स्टेशनों के लिए भी यही कार्यप्रणाली अपनाई जाएगी।