दिल्ली मेट्रो द्वारा कंस्ट्रक्शन साइटों पर प्रदूषण से बचाव के लिए एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल

नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने अपनी कंस्ट्रक्शन साइटों पर प्रदूषण से बचाव के विभिन्न उपायों के रूप में 14 एंटी स्मॉग गनों का इस्तेमाल कर रहा है, जो समय-समय पर निर्माण कार्यों से उत्पन्न होने वाले धूल-कणों के वातावरण में बिखराव को हल्की फुहारों से रोकती हैं।

डीएमआरसी इस समय फेज़-IV के साथ–साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली मेट्रो की कुछ अन्य निर्माण परियोजनाओं के 12 सिविल कॉन्ट्रेक्ट चालू हैं। ये आधुनिकतम एंटी स्मॉग गनें 70 से 100 मीटर की दूरी तक हल्की फुहारें छोड़ने में सक्षम हैं। एक एंटी स्मॉग गन 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र के लिए पर्याप्त मानी जाती है।

अब दिल्ली सरकार ने भी प्रदूषण से बचाव के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सभी निर्माण एजेंसियों के लिए एंटी स्मॉग गनों का इस्तेमाल करना अनिवार्य कर दिया है। जल छिड़काव करने, नोज़ल इत्यादि के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं।

भारत का समस्त उत्तरी भूभाग, विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अक्टूबर से दिसंबर माह के दौरान गंभीर प्रदूषण की गिरफ्त में रहता है।

डीएमआरसी अपने निर्माण स्थलों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए एंटी स्मॉग गनों के नियमित इस्तेमाल के अलावा कई अन्य उपाय भी कर रही है। इन उपायों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए बैरिकेडों की प्रतिदिन सफाई की जाती है तथा किनारों से धूल साफ की जाती है। समस्त निर्माण सामग्री को उपयुक्त रूप से तिरपाल तथा अन्य सामानों से ढक कर रखा जाता है। साइटों से निकलने वाले वाहनों की उचित तरीके से सफाई की जाती है ताकि सड़कों पर धूल या मिट्टी न फैले। वाहनों में ले जाई जाने वाली सामग्री को भी पर्याप्त रूप से ढका जाता है।

प्रमुख निर्माण स्थलों की ओर जाने वाली सभी सड़कों पर तारकोल की परत बिछाई जाती है तथा निर्माण कार्यों से निकलने वाले अपशिष्ट और मलबे को निर्धारित सीएंडडी रिसायकलिंग स्थलों पर रिसायकल किया जाता है। उक्त सामग्री के लोडिंग और अनलोडिंग में लगे श्रमिकों के लिए चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध रहती हैं। अपनी कार्य संस्कृति के एक अभिन्न अंग के तौर पर डीएमआरसी पर्यावरण के संरक्षण को उच्च प्राथमिकता देती है।

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