थाइरॉएड में शुगर और सोया से कैसे बचें

विचार—विमर्श

थाइरॉएड, गर्दन के सामने वाले हिस्से में तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है। इससे निकलने वाले हार्मोंस शरीर की भोजन को ऊर्जा में बदलने की क्षमता को कंट्रोल करता हैं। इस ग्रंथि में गड़बड़ी होने पर हाइपो या हाइपर थाइरॉएडिज्म होने का खतरा होता है और वजन तेजी से बढ़ने या घटने लगता है। हृदय, बाल, नाखून व नींद पर तेज़ी असर देखने को मिलता है। दवाओं के अलावा थाइरॉएड पीडितों के लिए खान-पान का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है।

आयोडीन
शरीर में थाइरॉएड हार्मोन बनने के लिए आयोडीन की अधिक मात्रा में जरूरत होती है। आयोडीन डाइट में लेना होता है। आयोडीनयुक्त नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। मछली, झींगा आदि तमाम तरह के समुद्री भोजन में आयोडीन प्राकृतिक रूप से अधिक मात्रा में पाया जाता है। समुद्री घास में भी आयोडीन अधिक मात्रा में मिलता है। इसके अलावा पालक, लेट्यूस, हरी पत्तेदार सब्जियां, काजू, बादाम, गोभी, ब्रोकली, बंद गोभी और सीताफल के बीज में आयोडीन भरपूर मात्रा में मिलता है।
दवाएं
कुछ दवाएं है जो थाइरॉएडके असर को कम करती हैं। खासतौर पर मल्टी विटामिंस, आयरन कैल्शियम सप्लीमेंट्स, एंटासिड, अल्सर या कोलेस्ट्रॉल आदि कम करने वाली दवाएं प्रमुख हैं। यदि ऐसी लेते समय थाइरॉएड व अन्य दवाओं में कुछ घंटे का अंतर रखना जरुरी है।

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